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I am not Danger I am the Danger.

"I am not danger; I am the danger" conveys a powerful assertion of dominance and control. It signifies that the speaker is not merely a passive risk but an active, formidable force to be reckoned with, embodying the very essence of threat and power.


एक विषैले व्यक्ति
न तो साथ चाहिए, न तुम्हें आज़ाद छोड़ेंगे": एक विषैले व्यक्ति" हम सभी ने जीवन में कभी न कभी ऐसे लोगों का सामना किया है जो न तो हमारे साथ एक सच्चा और स्वस्थ रिश्ता रखना चाहते हैं, और न ही हमें पूरी तरह आज़ाद छोड़ना चाहते हैं। ऐसे लोग अपने नियंत्रण, हस्तक्षेप और मानसिक चालबाज़ियों से न केवल रिश्तों को जटिल बनाते हैं, बल्कि दूसरे व्यक्ति की पहचान और आत्मसम्मान को भी धूमिल कर देते हैं। ये लोग अक्सर "Toxic", यानी विषैले व्यवहार के उदाहरण होते हैं, और उनके व्यवहार में गैसलाइटिंग, इम


बात करने से पहले – एक आत्मचिंतन की आवश्यकता"
हम अक्सर किसी बातचीत में जल्दी से प्रतिक्रिया दे बैठते हैं अपनी सोच, अपने अनुभव, या अपने दृष्टिकोण के आधार पर। परंतु हर मनुष्य एक संपूर्ण ब्रह्मांड है, जिसकी अपनी जटिलता, अपनी पीड़ा, आशाएँ, विश्वास, डर और संवेदनाएँ होती हैं। इसलिए, कुछ कहने या जवाब देने से पहले स्वयं में एक बार ठहरकर आत्मचिंतन करना ज़रूरी होता है। शब्द केवल ध्वनियाँ नहीं होते; वे असर डालते हैं कभी सान्त्वना बनते हैं, कभी चोट। हर व्यक्ति की अपनी 'दुनिया' होती है हम यह मानकर चलते हैं कि सामने वाला हमें उसी तरह


धीरे-धीरे सूखती औरत
धीरे-धीरे सूखती है एक औरत, जैसे रात में किसी बगीचे का फूल जिसे किसी ने तोड़ा नहीं, मगर नमी चुरा ली हो हवा ने। वो सूखती है जब सुबह की चाय बनाते वक़्त कोई "थैंक यू" नहीं कहता, जब थाली में परोसी रोटियों के स्वाद पर चेहरे सिकुड़ते हैं, मगर उसकी मेहनत कोई नहीं देखता। वो सूखती है जब अपनी बात को बीच में रोक देना उसकी आदत बन जाती है, क्योंकि कोई सुनता नहीं, या सुनकर भी समझता नहीं। वो सूखती है जब उसकी पसंदें "गृहस्थी के तवे" में जल कर राख हो जाती हैं। नीली साड़ी जो उसे बहुत पसंद थी, व


ज़िक्र से नहीं.!फ़िक्र से पता चलता है, कि अपना कौन है..!!
दुनिया में बहुत लोग हैं जो हमारे सामने बैठकर बातें तो खूब करते हैं, हमारा ज़िक्र महफ़िलों में भी होता है, लेकिन जब हालात मुश्किल हो, तो...


अकेले ही जीवन में आगे बढ़कर बताऊंगा तुम्हे की.!
"अकेले ही जीवन में आगे बढ़कर बताऊंगा तुम्हें कि...बुजदिल औरतों के छोड़ जाने से मर्द मरा नहीं करते..!!" कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसा भी मोड़...


वो लोग पूछते है कमाई मेरी, जो पूछते नहीं तबियत हमारी।~ आकाश मौर्य..2025
कितनी अजीब बात है कि ज़माना आजकल इंसान की इंसानियत से ज़्यादा उसकी कमाई को तवज्जो देता है। वो लोग जो हालचाल तक नहीं पूछते, जो ये तक नहीं...
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