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सुनो नारियों ./संस्कारी बनो पर बेचारी नहीं./क्योंकि "स्वाभिमान: सर्वोपरि अस्ति"..//

  • Writer: ELA
    ELA
  • May 11
  • 2 min read

सुनो नारियों! संस्कारी बनना नारी की गरिमा है, पर इसका अर्थ यह नहीं कि वह बेचारी बनकर अन्याय और अपमान को सहती रहे। समय आ गया है कि नारी अपनी आत्मशक्ति और आत्मसम्मान को पहचाने। सहनशीलता उसकी शक्ति है, परंतु जब बात उसके स्वाभिमान की हो, तो उसे डटकर खड़ा होना चाहिए। "स्वाभिमानः सर्वोपरि अस्ति" केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि एक चेतना है जो हर नारी के भीतर जागृत होनी चाहिए — क्योंकि सम्मान से बड़ा कोई संस्कार नहीं होता। संस्कार वही जो अन्याय के विरुद्ध खड़ा होना भी सिखाए, और बेचारी वही जो अपने अधिकारों के लिए चुप रह जाए। इसलिए, संस्कारी बनो, पर बेचारी नहीं — सम्मान के साथ जीना ही सच्चा नारीत्व है।



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सुनो नारियों ./

संस्कारी बनो पर बेचारी नहीं./

क्योंकि "स्वाभिमान: सर्वोपरि अस्ति"..//



Listen women./

Be cultured but not helpless./

Because "Self-respect is paramount"..//




"सुनो नारियों!"संस्कारी बनो — क्योंकि संस्कृति तुम्हारा गहना है। पर बेचारी मत बनो — क्योंकि लाचारी तुम्हारा स्वभाव नहीं, थोपे गए बंधन हैं।अब वो समय गया जब नारी को मौन रहने की शिक्षा दी जाती थी।अब नारी वो शक्ति है जो प्रेम भी करती है और परिवर्तन भी लाती है।

🪷 इंदिरा गांधी कहती थीं: "People tend to forget their duties but remember their rights." —तो याद रखो, अपना स्वाभिमान भी तुम्हारा कर्तव्य है।

🔥 मालाला यूसुफजई ने कहा था: "We cannot all succeed when half of us are held back." —इसलिए पीछे हटना अब विकल्प नहीं है।

🌿 मदर टेरेसा बोली थीं: "Do not wait for leaders. Do it alone, person to person." —मत रुको किसी के इशारे पर; तुम्हीं अपनी क्रांति की शुरुआत हो।

🌸 और रानी लक्ष्मीबाई का अदम्य संकल्प तो खुद गूंजता है आज भी:"मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी!" —तो तुम भी कहो: "मैं अपना सम्मान नहीं छोड़ूंगी!"

💫 "स्वाभिमानः सर्वोपरि अस्ति" — यह कोई आदर्श वाक्य नहीं,यह हर नारी की आत्मा की पुकार है।संस्कार वही जो आत्म-सम्मान सिखाए, औरनारी वही जो समय आने पर शक्ति का रूप ले सके।

इसलिए सुनो नारियों —संस्कारी बनो, पर बेचारी नहीं —क्योंकि अब समय है सिर्फ सहने का नहीं,बल्कि सिर उठाकर चलने का।


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