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“भूख जिस्म की नहीं, सम्मान की होती है”

  • Writer: ELA
    ELA
  • 2 hours ago
  • 2 min read

अगर मर्द जिस्म का भूखा होता तो वो 10-20

लाख खर्चा करके शादी नहीं करता, बल्कि

500-1000 खर्चा करके रोज़ सुबह-शाम

नई नई लड़कियों से मसाज करवाता, मर्द

भूखा होता है ईज्जत, सम्मान, प्यार, ध्यान,

अपमान और भावनात्मक सपोर्ट का, इसलिए

लाखो खर्चा करके शादी करता है लेकिन

ग़लत औरत पल्ले पड़ जाने से उसका पैसा,

जवानी, ईज्जत और सपने सब बर्बाद हो जाते

है, सहमत हो या नहीं ??


“भूख जिस्म की नहीं, सम्मान की होती है”

शहर के एक साधारण से मोहल्ले में आरव रहता था। पढ़ा-लिखा, मेहनती और जिम्मेदार। लोग अक्सर कहते—“आजकल के मर्द बस जिस्म के पीछे भागते हैं।” आरव मुस्कुरा देता, क्योंकि उसकी सच्चाई इससे बहुत अलग थी।

आरव जानता था कि अगर बात सिर्फ जिस्म की होती, तो उसे शादी जैसे पवित्र बंधन में बंधने की ज़रूरत ही नहीं थी। पर वह जिस चीज़ का भूखा था, वह थी—सम्मान, अपनापन, ध्यान, समझ और भावनात्मक सहारा। उसे ऐसा साथी चाहिए था जो उसके सपनों को हल्का नहीं, मजबूत करे; जो उसके संघर्ष को देखे, न कि सिर्फ उसकी कमाई।

शादी के बाद कुछ समय तक सब ठीक रहा, लेकिन धीरे-धीरे उसे एहसास हुआ कि साथ निभाने के नाम पर सिर्फ अपेक्षाएँ थीं, समझ नहीं। हर बात में अपमान, हर कोशिश पर ताना, और हर सपने पर हँसी। आरव की कमाई जाती रही, जवानी थक गई, और आत्मसम्मान रोज़ थोड़ा-थोड़ा टूटता गया।

एक दिन उसने आईने में खुद को देखा—थका हुआ, चुप, लेकिन टूटा नहीं। उसी दिन उसने तय किया कि गलत साथ में टिके रहना समझदारी नहीं, और सही साथ के लिए खुद को बचाना कमजोरी नहीं। उसने सीखा कि शादी पैसे से नहीं चलती, बल्कि सम्मान, संवाद और संवेदना से चलती है।

आरव की कहानी हमें यही सिखाती है कि मर्द हो या औरत—कोई भी सिर्फ जिस्म का भूखा नहीं होता। हर इंसान इज्ज़त, प्यार और भावनात्मक सुरक्षा चाहता है। सही साथी वो है जो आपकी मेहनत को बोझ नहीं, आपकी खामोशी को आवाज़ और आपके सपनों को पंख दे।

संदेश:सहमत हों या नहीं, सच यही है—रिश्ते खर्च से नहीं, समझ से बचते हैं। और गलत रिश्ते में रहकर सब कुछ खोने से बेहतर है, सही रिश्ते की तलाश में खुद को बचाए रखना।

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