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"रूह की कीमत"

  • Writer: ELA
    ELA
  • 34 minutes ago
  • 2 min read

शहर की एक पुरानी गली में, जहाँ रातें अक्सर नीयन लाइटों की झिलमिलाहट में डूब जाती थीं, वहीं रहती थी रिया — एक ऐसी लड़की, जिसकी मुस्कान के पीछे दर्द का सागर छिपा था। लोग उसे "किराये की ज़िंदगी" कहते थे, पर किसी ने कभी उसकी रूह की गहराई में झाँकने की कोशिश नहीं की।

रिया का बचपन सपनों से भरा था। वो डॉक्टर बनना चाहती थी, माँ की आँखों में गर्व देखना चाहती थी। लेकिन किस्मत ने ऐसा मोड़ लिया कि उसे अपनी मासूमियत से पहले अपने सपनों का सौदा करना पड़ा। घर की गरीबी, बीमार माँ और बेरहम दुनिया ने उसे एक ऐसे रास्ते पर धकेल दिया जहाँ “किराये पर जिस्म” बिकते थे, मगर रूहें तड़पती रहती थीं।

वो हर रात सजती थी — चेहरे पर नकली मुस्कान, आँखों में लाचारी छिपाए। जो भी आता, उसके लिए वो “रिया” नहीं, बस एक “नामहीन साया” थी।लोग पैसे देकर उसके पास आते थे, और जाते वक्त अपनी झूठी मर्दानगी वहीं छोड़ जाते थे। लेकिन रिया?वो हर बार अपने भीतर एक टुकड़ा और मरती थी।

एक दिन उसकी ज़िंदगी में आया आदित्य — एक लेखक, जो सच्ची कहानियाँ लिखने की तलाश में था। वो रिया से एक कहानी के लिए मिला था, पर बातों-बातों में उसे उसकी आँखों में छिपी सच्चाई दिखी।वो पहली बार था जब किसी ने रिया को जिस्म से पहले इंसान की तरह देखा।

आदित्य रोज़ उससे मिलने आने लगा। कभी बिना किसी लालच के कॉफ़ी लाता, कभी बस खामोश बैठकर उसकी बातें सुनता।रिया के लिए यह एहसास नया था। उसने सोचा था कि प्यार जैसा शब्द उसके लिए नहीं बना, लेकिन आदित्य ने उसे यह यकीन दिलाया कि अब भी कुछ लोग हैं जो रूह को देखते हैं, न कि जिस्म को।

धीरे-धीरे रिया में बदलाव आने लगा। उसने खुद से नफरत करना बंद किया। उसने महसूस किया कि वो टूटी नहीं है, बस थकी हुई है।एक रात, जब आदित्य ने पूछा,

“रिया, क्या तुम मेरे साथ एक नई ज़िंदगी शुरू करोगी?”

रिया मुस्कुराई, आँखों में आँसू लिए बोली —

“आदित्य, किराये पर तो सिर्फ जिस्म मिलते हैं साहब,रूह खरीदने के लिए दिल बेचना पड़ता है...और तुमने अपना दिल देकर मेरी रूह को आज़ाद कर दिया।”

उस दिन रिया ने अपने पुराने कमरे का दरवाज़ा हमेशा के लिए बंद कर दिया।वो अब किसी के किराये की ज़िंदगी नहीं थी —वो अब अपनी रूह की मालिक बन चुकी थी।

आदित्य ने उसकी कहानी को एक किताब में लिखा — “रूह की कीमत”,जो सिर्फ एक कहानी नहीं थी, बल्कि हर उस औरत की आवाज़ थीजिसने दुनिया के सौदों में खुद को खो दिया,और फिर किसी एक सच्चे दिल ने उसे वापस जीना सिखाया।

सीख:जिस्म का सौदा आसान है, पर रूह को छूने के लिए इंसानियत चाहिए।प्यार वो नहीं जो खरीद लिया जाए,प्यार वो है जो रूह को सुकून दे और इंसान को फिर से जीना सिखा दे। ❤️




किराये पर तो सिर्फ जिस्म मिलते हैं साहब,

रूह खरीदने के लिए दिल बेचना पड़ता है।

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