रास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में.|मंज़िल तो वहां है जहां ख्वाहिशें थम जाएं..||
- ELA

- May 2
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रास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में...हर मोड़, हर पड़ाव बस एक नया सबक, एक नई उम्मीद साथ लाता है।कभी लगता है यही मंज़िल है, लेकिन दिल में कोई ख्वाहिश फिर से जाग उठती है।
मंज़िल तो वहां है,जहां ख्वाहिशें थम जाएं,जहां दिल कहे — अब और कुछ नहीं चाहिए...लेकिन क्या इंसान की फितरत में रुक जाना लिखा है?
शायद नहीं...ज़िंदगी की खूबसूरती भी तो इसी में है —चलते रहो, ढूंढते रहो, जीते रहो...क्योंकि जब तक ख्वाहिशें हैं, तब तक सफ़र ज़िंदा है।
रास्ते कहां ख़त्म होते हैं ज़िंदग़ी के सफ़र में.|
मंज़िल तो वहां है जहां ख्वाहिशें थम जाएं..||




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