भटकाव || A Life Changing Story
- ELA

- Oct 10, 2024
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"भटकाव....
पापा प्लीज...… फोन मत रखना....
मैं जानती हूं मैंने आपका विश्वास तोड़ा है लेकिन मैं बहुत पछता रही हूं कि क्यों आपको छोड़कर अपने घर से भागकर मुंबई आ गई … मै...मे यहां बहुत परेशान हूं पापा…मैं तुरंत घर लौटना चाहती हूं
पापा प्लीज… एक बार … सिर्फ एक बार कह दीजिए कि आपने मुझे माफ कर दिया कहते हुए वह बार बार सुबक रही थी उसने फोन पर हैलो सुनते ही गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया था
तुम....तुम कहां हो बेटी...तुम ... तुम जल्दी ही घर लौट आओ मैंने तुम्हारी सब गलतियां माफ कर दी …. कहकर उसने फोन रख दिया
बयालीस साल का कुँवारा-प्रौढ़ सोचने लगा कि उसकी तो शादी ही नहीं हुई तो यह बेटी कहां से आ गई ....
लेकिन वह तत्काल समझ गया था कि किसी भटकी हुई लड़की ने उसके यहां रांग नंबर डायल कर दिया था बहरहाल.... उसे इस बात की खुशी थी कि उसकी आवाज उस लड़की के पिता से मिलती - जुलती थी और उसने उसे रांग नंबर कहने की बजाय ठीक ही जवाब दिया था वह एक पिता और बेटी के मिलन का जरिया जो बन गया था वरना ना जाने भटकाव के चलते उस बेटी के साथ साथ उस पिता की जिंदगी भी बर्बाद हो जाती
एक सुंदर रचना...




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