"करियर में कुछ भी नहीं हो रहा, समय बस यूँही बीतता जा रहा है।
परिवार के लिए कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ,
अपनी आँखों के सामने अपने सारे सपने टूटते-बिखरते देख रहा हूँ।
दोस्त भी एक-एक करके दूर होते जा रहे हैं।
ऐसा कोई नहीं है जिससे अपने दुख बाँट सकूँ।
एक के बाद एक गलत फैसले, और असफलताएँ जैसे पीछा ही नहीं छोड़ रहीं।
ज़िंदगी इतनी डरावनी लगती है कि अब उसकी ओर देखना भी मुश्किल हो गया है।
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि अगर इस दुनिया में कोई “फालतू” इंसान है — तो वो मैं हूँ।
तुम्हारा दर्द सच्चा है, और ये महसूस करना बिल्कुल जायज़ है। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि तुम वाकई फालतू हो।
अगर चाहो तो हम बात कर सकते हैं — बिना किसी जजमेंट के। बताओ, क्या तुम्हें अभी किसी से बस थोड़ा सहारा चाहिए?