बातों से सुकून दिया जा सकता है, और बातों से थकाया भी जा सकता है।
बातों में ही प्यार होता है, बातों में ही उलझन।
बातों में ही कोई बंधता है, और बातों में ही फंसता भी है।
कठिन शब्दों से इंसान महल छोड़ सकता है,
तो वहीं कुछ कोमल और मधुर बातों से
टूटा-फूटा घर भी दिल को छू जाता है।
ज़िंदगी विकल्पों से भरी हुई है।
शब्दों से किसी की उदास शाम को रौशन करना है,
या फिर शब्दों की बिजली से किसी को तोड़कर रख देना है...
ये चुनाव सिर्फ हमारा होता है
