तुम्हारे साथ, मुझे मेरा घर मिला।
मैंने जगहों में, लोगों में, और ख्वाबों में खोजा—
उम्मीद थी कि कहीं कुछ पूरा महसूस होगा।
लेकिन जिस पल तुम्हारी आँखों से मेरी नज़र मिली,
मैं समझ गई...
तुम ही वो दुनिया हो, जिसमें मुझे अपना होना था।
कोई मंज़िल नहीं,
बल्कि वो गर्माहट हो, जो खो जाने के बाद मिलने पर मिलती है।
तुम सिर्फ़ मेरी तलाश का अंत नहीं हो—
तुम वो सुकून हो, जिसकी ज़रूरत मुझे कभी पता ही नहीं थी।
तुम वो ख़ामोशी हो जो मेरे शोर को थाम लेती है,
वो बाँहें जो मेरे टूटे दिल को समेट लेती हैं,
वो साँस हो, जो मुझे फिर से जीना सिखाती है।
तुम्हारे साथ, मुझे कहीं भागने की ज़रूरत नहीं,
कुछ साबित करने की ज़रूरत नहीं।
तुम मेरी ख़ामोशी को समझ लेते हो,
तुम्हारी मौजूदगी ही मुझे थाम लेती है।
तुम्हारे साथ, मैं महफ़ूज़ महसूस करती हूँ—
महफ़ूज़, कोमल होने के लिए,
सच्चा होने के लिए,
बस… होने के लिए।
एक भटकती दुनिया में,
तुम मेरी ठहराव हो।
एक चलती ज़िंदगी में,
तुम मेरी शांति हो।
और एक खोए हुए दिल में,
तुम मेरा घर हो।