"मैंने अब ये सीख लिया है कि ध्यान, प्रेम या सम्मान के लिए भीख नहीं माँगनी चाहिए।
मैं किसी के जीवन में सिर्फ इसलिए नहीं रहना चाहता कि उन्हें कोई मजबूरी है।
अगर मुझे अपनी कद्र समझानी पड़े… अगर मुझे किसी को ये मनवाना पड़े कि वो मुझसे प्रेम करें… तो फिर वो जगह मेरी नहीं है।
ज़िंदगी बहुत छोटी है, और उस ऊर्जा को उन चीज़ों पर खर्च करना बेकार है जो दोतरफा नहीं हैं।
मुझे उम्र बढ़ने से डर नहीं लगता, मुझे बस इस बात का डर है कि कहीं मैं दूसरों को खुश करते-करते खुद को ही न खो दूँ।
अब इस मोड़ पर आकर… मैं हर चीज़ से पहले अपना सुकून चुनता हूँ।"