बंधन
"शादी से पहले के विनोद और अब के विनोद मे कितना फर्क है......
कहां तो वो मेरी हर अदा पर शायरी करते नही थकते थे... और अब हफ़्तो बीत जाते हैं पर उनके मुंह से तारीफ का एक शब्द भी नही निकलता.....
कहीं ऊब तो नही गए मुझसे....अनु ऐसे ही विचारो में खोई हुई सोच रही थी...
"ट्रिंग ट्रिंग...तभी फोन की घंटी ने उसे चौका दिया...
"हेलो.... क्या मे विनोद कुमार जी से बात कर सकती हूं, उनका मोबाइल स्वीच ऑफ आ रहा है...
दूसरी तरफ से आवाज़ आई...
"आप कौन बोल रहीं है ...और विनोद से क्या काम है आपको.... अनु ने संदेहास्पद लहज़े मे पूछा....
"मैं डॉली बोल रही हूं... मुझे विनोद जी से बहुत ज़रूरी बात करना है जो मैं आपको नही बता सकती...
आप प्लीज़ उनसे मेरी बात करवा दीजिए" उधर से जवाब...
"वो घर पर नही है..... अनु ने गुस्से से कहा और फोन कट कर दिया...
"ओह.....तो ये बात है... विनोद कही और इंगेज हो चुके हैं तभी आजकल उनका रवैया बदल गया है... अनु का दिल बैठ गया...
विनोद.....
अब जब तुम्हारे दिल में ही मैं नहीं तो, क्या फ़ायदा ऐसे रिश्ते को जबरन बांध कर रखने का....
तुम आज़ाद हो, मैंने तुम्हारी जंज़ीरें खोल दी हैं, मैं जा रही हूँ...
अनु....
अनु ने पत्र टेबल पर रखा और अपना बेग उठाकर भरी आँखों से दरवाज़े की तरफ़ बढी....
तभी डोरबेल बज उठी....
अनु ने दरवाज़ा खोला, सामने विनोद खड़ा था....
"क्या हुआ....
कहां जा रही हो.... और ये बैग..... ..
खैर....
अनु....जानती हो आज तो मै तुम्हें अपने जीवन की सबसे बड़ी खुशखबरी देने वाला हूं....
ये लो, संभालो अपने खुद के घर की चाबी...
इसी मे लगा हुआ था, सोच रहा था अपनी एनिवर्सरी से पहले तुम्हें अपने घर की मालकिन बना दूं......
तुम यहां अकेले में बोर हो जाती हो ना...आँफिस के बिल्कुल पास है वो सोसायटी.......
अबसे मे तुम्हारे साथ तुम्हारे पास ज्यादा से ज्यादा रह पाऊंगा ......
इतने मे विनोद का मोबाइल बजा....
"हेलो.... हां डॉली जी...
थैंक्यू सो मच , मेरा लोन एप्रूवल मिल गया....
आपको दिल से धन्यवाद , आपकी मदद से मेरा सपना पूरा हो सका...
अनु ने धीरे से टेबल से वह पत्र उठा लिया और मन ही मन ईश्वर का शुक्रिया अदा किया...
"सच मे कुछ बंधन कितने अच्छे होते है...
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