एक पल कहते हैं, "मैं तुमसे प्यार करता हूँ", और अगले ही पल, "मुझे अब यकीन नहीं है"।
एक पल कहते हैं, "तुम मुझे खुश रखते हो", और अगले पल, "मैं काफी समय से खुश नहीं हूँ"।
एक पल कहते हैं, "तुमसे मिलने का इंतज़ार नहीं हो रहा", और अगले ही पल, "मुझे थोड़ा स्पेस चाहिए"।
एक पल कहते हैं, "मुझे तुम्हारी याद आ रही है", और अगले पल, "मुझे अकेला छोड़ दो"।
एक पल कहते हैं, "माफ़ करना अगर तुम्हें गुस्सा आया", और अगले ही पल, "तुम हर बात पर गुस्सा हो जाते हो"।
एक पल कहते हैं, "मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता", और अगले पल, "अब मुझे फर्क नहीं पड़ता"।
एक पल कहते हैं, "तुम परफेक्ट हो", और अगले पल, "हम बहुत अलग हैं"।
एक पल कहते हैं, "तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा", और अगले पल, "काश उस दिन घर पर ही रुक जाता"।
एक पल कहते हैं, "गुड नाइट, जान", और अगले ही पल, "अब बहुत हो गया, मैं जा रहा हूँ"।
इसीलिए आजकल ज़्यादातर लोग किसी रिश्ते में पड़ने से डरते हैं, क्योंकि अब रिश्ते पहले जैसे टिकते नहीं।
क्या तुम्हारा हाल ही में ऐसा कोई अनुभव रहा है?