एक छोटे से कस्बे में एक होटल था, जहाँ रोज़ बहुत भीड़ रहती थी। होटल की कचोरी और समोसा पूरे शहर में मशहूर थे।
मैं रोज़ वहाँ जाती थी और एक अजीब बात देखती थी—एक आदमी रोज़ आता, कचोरी–समोसा खाता और बिना पैसे दिए भीड़ में ग़ायब हो जाता। कई दिनों तक मैंने सोचा कि होटल के मालिक को बता दूँ, लेकिन हर बार चुप रह जाती।
आख़िरकार एक दिन मैंने हिम्मत करके होटल के मालिक से कह ही दिया –“अंकल, वो आदमी रोज़ आपके होटल से खाकर पैसे दिए बिना चला जाता है।”
होटल मालिक मुस्कुराकर बोले –“बेटी, तुम पहली ग्राहक नहीं हो जिसने हमें यह बात बताई है। और भी कई लोग हमें यह बता चुके हैं।”
मैंने हैरानी से पूछा –“तो आप उसे रोकते क्यों नहीं?”
मालिक ने गहरी सांस ली और कहा –“एक बार हमने उसका पीछा किया था। हमें पता चला कि वह कोई चोर नहीं, बल्कि भिखारी है। कचोरी–समोसा खाने के बाद वह सीधा भगवान के मंदिर जाता है।”
जिज्ञासा से भरकर मैं और होटल मालिक चुपके से मंदिर गए। वहाँ उस आदमी को folded हाथों से दुआ माँगते सुना –“हे भगवान! कल उस होटल में आज से भी ज़्यादा भीड़ भेजना, ताकि मैं भीड़ में कचोरी खाकर चुपचाप निकल सकूँ।”
यह सुनकर होटल मालिक की आँखें नम हो गईं। उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा –“तब हमें एहसास हुआ कि हमारा होटल सिर्फ़ हमारी मेहनत से नहीं, बल्कि उस भिखारी की दुआओं की बदौलत भी चलता है।”
👉 दोस्तों, ज़िंदगी में अक्सर हम अपनी सफलता पर घमंड करने लगते हैं, लेकिन सच यह है कि हमें नहीं पता होता कि हमारी सफलता के पीछे किसकी दुआएँ, किसकी प्रार्थना और किसकी नज़र लगी है।
