बिन बोले अलविदा कहना ही शायद सबसे बेहतर अलविदा होता है—
ना लौटने की ख्वाहिश, ना दोबारा मिलने की कोई उम्मीद।
हाँ, अगर कभी रास्ते टकरा भी जाएं तो मैं मौक़ा नहीं दूँगा,
क्योंकि अब हर दर्द चुपचाप सहना सीख गया हूँ।
तुम्हें क्या लगता था?
"बीजी हूँ" कहकर किसी और के साथ बीजी हो जाना कोई नहीं देखता?
मुझे "गुडनाइट" बोलकर फिर देर रात तक ऑनलाइन रहना—ये सब मैं महसूस करता रहा।
मैं हर रात बस इस उम्मीद में ऑनलाइन रहता,
कि शायद तुम मुझे देख कर एक मैसेज भेजो...
पर नहीं, तुमने मुझे धीरे-धीरे ओवरटेक करना शुरू कर दिया।
तुम्हारा बार-बार टालना, वक्त ना देना,
ये साफ़ दिखाने लगा कि मेरी जगह अब किसी और को मिली है।
प्यार में जब दो लोग एक-दूसरे को प्राथमिकता नहीं देते,
तो फिर वो रिश्ता धीरे-धीरे दम तोड़ देता है।
मैंने तुम्हारी खामोशी को भी समझने की कोशिश की,
तुम्हारे इशारों, तुम्हारी बातों की गहराई को महसूस किया।
लेकिन बदले में मिला—बहाने, दूरी और अनदेखापन।
अब मैं थक चुका हूँ।
हर बार समझना, सहना, और खुद को समझाते रहना आसान नहीं रहा।
इसलिए अब मैंने फैसला किया है...
कि मैं बिना कुछ कहे, चुपचाप चला जाऊँगा।
बिन बोले अलविदा कहूँगा—ताकि अब कोई सवाल, कोई जवाब बाकी न रहे।
