कहानी — “पसंद और प्यार के बीच का अंतर” (एक सच्ची ज़िंदगी जैसे उदाहरण के साथ) ❤️✨
कहते हैं कि पसंद और प्यार में बहुत फर्क होता है,लेकिन ये फर्क समझ तब आता है जब हम दोनों को महसूस कर लेते हैं।
आरव एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। ऑफिस में सब उसे उसके सलीके और स्मार्ट लुक्स के लिए जानते थे।एक दिन ऑफिस में नई लड़की आई — काव्या।उसका पहनावा सादा था, लेकिन उसकी बातों में एक सच्चाई थी।
आरव को काव्या पसंद आने लगी।वो उसके लिए कॉफी लाने लगा, उसके प्रोजेक्ट में मदद करता, और जब भी काव्या मुस्कराती, आरव का पूरा दिन बन जाता।वो उसे खूबसूरत कपड़े गिफ्ट करता, नए मोबाइल का सुझाव देता, और उसकी इंस्टाग्राम पोस्ट पर दिल वाले इमोजी डालता।
काव्या को भी यह सब अच्छा लगता था —क्योंकि किसी का ध्यान पाना किसे बुरा लगता है?दोनों रोज़ बातें करते, कभी मूवी देखते, तो कभी लॉन्ग ड्राइव जाते।
सब कुछ बिल्कुल परफेक्ट लग रहा था।लेकिन एक दिन, जब काव्या बीमार पड़ी — 102° बुखार, कमजोरी से उठ नहीं पा रही थी —तो आरव ने कहा, “तुम रेस्ट कर लो, मैं ऑफिस में बहुत बिज़ी हूँ, शाम को कॉल करता हूँ।”
वहीं उसी दिन, ऑफिस का एक सहकर्मी अनिरुद्ध आया, हाथ में सूप और दवाई लेकर।उसने कहा, “तुम्हारा बुखार उतरने तक मैं यहीं रहूँगा।”वो खामोश बैठा रहा, बस काव्या के माथे पर ठंडी पट्टी रखता रहा।
उस पल काव्या को एहसास हुआ —आरव को वो पसंद थी, पर अनिरुद्ध उससे प्यार करता था।
आरव उसे खुश देखना चाहता था अपने अंदाज़ में,लेकिन अनिरुद्ध उसे समझना चाहता था — उसके दर्द, उसके डर, उसकी थकान तक।
जब काव्या ने कहा,“मुझे डर लगता है कि कहीं मैं सबको परेशान न कर दूँ,”तो आरव ने हँसते हुए कहा, “तुम ज़्यादा सोचती हो।”पर अनिरुद्ध ने बस उसका हाथ पकड़ा और कहा,“अगर तुम परेशान हो, तो मैं भी हूँ — क्योंकि हम एक हैं।”
समय बीता, आरव की ज़िंदगी में दूसरी पसंदें आ गईं — नई कार, नया फ़ोन, नए लोग।पर काव्या की ज़िंदगी में अनिरुद्ध का प्यार एक स्थिर एहसास बन गया।
उसने एक दिन अपनी डायरी में लिखा —
“पसंद वह थी जब आरव मुझे लाल ड्रेस में देखता था और कहता था कि मैं सुंदर लगती हूँ।प्यार वह है जब अनिरुद्ध मुझे बिना मेकअप, थकी हुई हालत में भी देखता है और कहता है,‘तुम्हें देखकर सुकून मिलता है।’”
और यही फर्क है —
🌸 पसंद हमें किसी की बाहरी खूबसूरती दिखाती है,❤️ प्यार हमें उसकी अंदरूनी सच्चाई से जोड़ता है।
पसंद हमें खुशी देती है,प्यार हमें सुकून देता है।
पसंद वो होती है जब आप कहते हैं — “मुझे ये अच्छा लगता है।
”प्यार वो होता है जब आप कहते हैं — “इसके बिना मैं अधूरा हूँ।”
काव्या की कहानी आज भी अधूरी नहीं है —क्योंकि अब वो जानती है कि सच्चा रिश्ता वही होता हैजहाँ सिर्फ़ दिल नहीं, रूहें भी जुड़ जाती हैं। 🌙
Difference Between Like & Love