अरुण बचपन से ही सीधा-सादा और परिवार-प्रिय इंसान था। उसके लिए शादी का मतलब सिर्फ़ एक रिश्ता नहीं, बल्कि जीवनभर का साथी होता है, जिसमें भरोसा, इज़्ज़त और सच्चाई सबसे बड़ी पूंजी होती है। उसकी शादी रश्मि से हुई। शुरू-शुरू में सबकुछ ठीक चला, लेकिन धीरे-धीरे अरुण को यह एहसास होने लगा कि रश्मि वैसी नहीं है जैसी वह सोचता था।
रश्मि अक्सर अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों के बीच अरुण की बुराई करती। कभी कहती कि “मेरे पति में यह कमी है, वो कमी है…” और कभी कहती कि “उसने मेरे लिए यह नहीं किया, वो नहीं किया।”अरुण को जब भी ये बातें सुनाई देतीं, तो उसका दिल टूट जाता। क्योंकि उसने रश्मि को हमेशा अपना मानकर, बिना किसी कमी के अपनाया था।
इतना ही नहीं, रश्मि अरुण के किसी भी फैसले को मानने से पहले सौ बहाने ढूंढती। जब भी अरुण उसे समझाने की कोशिश करता, तो वह जुबान लड़ाने लगती।"तुम मुझे हुकुम चलाने वाले कौन होते हो? मैं अपनी मरज़ी की मालिक हूँ!" – यह जुमला अरुण ने उसकी जुबान से न जाने कितनी बार सुना।
अरुण का दिल धीरे-धीरे बोझिल होने लगा। उसे लगने लगा कि एक पत्नी का असली कर्तव्य पति की इज़्ज़त करना, उसके साथ खड़े रहना और उसकी बातों को महत्व देना है। लेकिन रश्मि तो अक्सर उससे बातें भी छुपाती। कभी पैसों का हिसाब, कभी बाहर घूमने का बहाना – धीरे-धीरे अरुण को समझ में आने लगा कि जिस पत्नी के मन में पति के लिए सम्मान न हो, वह कभी किसी की सच्ची नहीं हो सकती।
एक रात अरुण बहुत देर तक चुप बैठा रहा। उसने हिम्मत जुटाई और रश्मि से कहा –"रश्मि, औरत का असली सौंदर्य उसके चेहरे या कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके स्वभाव से झलकता है। जो पत्नी अपने पति की पीठ पीछे बुराई करती है, पति के फैसले को नकारती है, उसकी बात नहीं मानती और उससे बातें छुपाती है, वह कभी किसी की सच्ची जीवनसंगिनी नहीं बन सकती। अगर तुम वाकई मेरी पत्नी हो तो मेरा सम्मान करो, मेरी इज़्ज़त करो, और भरोसे को तोड़ो मत।"
उस दिन पहली बार रश्मि को एहसास हुआ कि वह कितना ग़लत कर रही थी। उसे समझ आया कि पति-पत्नी का रिश्ता सिर्फ़ एक साथ रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह दो आत्माओं का मिलन है, जहाँ भरोसा और सम्मान सबसे बड़ी नींव होते हैं।
👉 इसलिए सच यही है –“वह औरत कभी किसी की नहीं हो सकती, जो अपने पति की बुराई करे, उसके हुकुम को न माने, उससे जुबान लड़ाए और बातें छुपाए। पत्नी की असली पहचान उसके पति का सम्मान और वफ़ादारी होती है।” 🤔
वह औरत कभी किसी की नहीं हो सकती, जो पीठ पीछे अपने पति की बुराई करती हो, अपने पति का हुकुम न मानती हो और अपने पति से जुबान लड़ाती हो अपने पति से कोई बात छुपाती हो !सहमत हो ?🤔
That woman can never belong to anyone, who speaks ill of her husband behind his back, does not obey his orders, argues with him and hides something from him! Do you agree?
