औरत हमेशा अपने पति को ही दोष क्यों देती है, कभी अपने अंदर झाकर क्यों नहीं देखती कि लास्ट टाईम मैने कब अपने पति से प्यार से बात की, कब उसका हाल-चाल अच्छे से पूछा और कब उसकी चिंता 'के बारे में खुलकर बात की। आखिर पति को भी प्यार जरूरत होती हैं।
सभी पति पत्नी एक जैसे नहीं होते है।
दिल को छू लेने वाली कहानी - रिश्तों की गहराई
रीमा अक्सर छोटी-छोटी बातों पर अपने पति अरुण को दोष देती रहती थी।"तुम बदल गए हो," "तुम्हें मेरी परवाह नहीं," या "घर की ज़िम्मेदारी केवल मुझ पर है" – ये उसके रोज़मर्रा के आरोप बन गए थे।
अरुण चुपचाप सुनता रहता, कभी बहस करता, कभी बस थककर चुप हो जाता। धीरे-धीरे उनके बीच की दूरी बढ़ने लगी।
एक दिन रीमा की सहेली ने उसे समझाया –"रीमा, कभी अपने दिल में झाँककर देखो… आख़िरी बार तुमने अरुण से प्यार से कब बात की थी? कब उसका हाल-चाल पूछा था? कब उसके तनाव और थकान के बारे में खुलकर बात की थी?"
ये सुनकर रीमा गहरी सोच में पड़ गई। उसे याद ही नहीं आया कि आखिरी बार उसने अपने पति के लिए प्यार भरे शब्द कब कहे थे। उसने महसूस किया कि सिर्फ़ पति ही नहीं, हर इंसान को प्यार और समझ की ज़रूरत होती है।
उस शाम उसने अरुण के पास जाकर धीरे से कहा –"आज थक गए होंगे ना? चलो, थोड़ी देर साथ बैठते हैं।"
अरुण ने हैरानी से देखा, लेकिन उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गई। उस दिन के बाद रीमा ने तय किया कि रिश्ते में सिर्फ़ शिकायतें ही नहीं, प्यार और परवाह भी ज़रूरी है।
क्योंकि सभी पति–पत्नी एक जैसे नहीं होते। हर रिश्ते की बुनियाद समझ, संवाद और आपसी सम्मान पर टिकी होती है।
👉 यह कहानी यही सिखाती है कि औरत ही नहीं, मर्द को भी प्यार और अपनापन चाहिए। दोष देने से ज़्यादा ज़रूरी है – एक-दूसरे की भावनाओं को समझना।
