ख़ुद कितना भटका होगा.!वो एक शख़्स.!जो सही राह बताता है औरों को..!!
- ELA

- Jun 2
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"ख़ुद कितना भटका होगा, वो एक शख़्स, जो सही राह बताता है औरों को" — यह पंक्ति उस गहराई को छूती है जो एक मार्गदर्शक की आत्मा में छिपी होती है। अक्सर जो लोग दूसरों को रास्ता दिखाते हैं, वे स्वयं अनेक ठोकरों और भटकनों से गुज़रे होते हैं। उनकी बातें केवल किताबों से नहीं आतीं, बल्कि अनुभवों की आग में तपकर निकली होती हैं। वे जानते हैं गिरने का दर्द, खो जाने की बेचैनी और फिर से उठ खड़े होने का हौसला। शायद इसी वजह से वे औरों को दिशा दे पाते हैं — क्योंकि उन्होंने खुद अंधेरे में रास्ता ढूँढा होता है। ऐसे लोगों की बातें केवल सलाह नहीं होतीं, बल्कि जीवन की सच्ची गवाही होती हैं।
ख़ुद कितना भटका होगा.!
वो एक शख़्स.!
जो सही राह बताता है औरों को..!!

ख़ुद कितना भटका होगा.!वो एक शख़्स.!जो सही राह बताता है औरों को..!!


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