ख्वाब, ख्वाइश और लोग.
- ELA
- Jun 24
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"ख्वाब, ख्वाइश और लोग... जितने कम हो उतना अच्छा है.."ज़िंदगी की सादगी ही असली सुकून है। ख्वाब जब ज़रूरत से ज़्यादा हो जाते हैं, तो नींद छिन जाती है; ख्वाइशें अगर बेकाबू हों, तो चैन नहीं रहने देतीं। और लोग... जितने ज़्यादा जुड़ते हैं, उतनी ही उम्मीदें और तकरारें बढ़ती हैं। इसलिए बेहतर है कि ख्वाब सीमित हों, ख्वाइशें साधारण और लोग चुनिंदा। कम लेकिन सच्चे रिश्ते, कम लेकिन गहरे ख्वाब — यही जीवन को हल्का, सुकूनभरा और संतुलित बनाते हैं।
ख्वाब, ख्वाइश और लोग.।
जितने कम हो उतना अच्छा है..।।
Dreams, wishes and people. The fewer there are the better.

ख्वाब, ख्वाइश और लोग.।
जितने कम हो उतना अच्छा है..।।
"ज़िंदगी तब आसान होती है, जब ख्वाइशें कम और सच्चे लोग पास होते हैं।"
"कम ख्वाब होंगे तो टूटने का डर भी कम होगा।"
"जहाँ ख्वाइशें थमती हैं, वहीं सुकून शुरू होता है।"
"लोग कम हों, पर दिल से हों… यही काफी है।"
"कम सोचना, कम चाहना और कम बोलना… सुकून का असली सूत्र यही है।"
"ज़रूरत भर के ख्वाब, और थोड़े से अपने… बस इतना काफी है जीने के लिए।"
"भीड़ में खो जाना आसान है, इसलिए चंद अपने ही बेहतर हैं।"
"हर चीज़ जितनी कम, उतनी गहरी होती है – चाहे वो ख्वाब हों या रिश्ते।"
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