• अगर आपको मेरे किसी व्यवहार में असामान्यता लगे, तो समझ लीजिए कि इसकी शुरुआत आप ही से हुई है।
• अगर मैं आपसे पहले की तरह बात नहीं करती/करता, तो समझिए आपकी कोई बात या काम ने मुझे बहुत दुख पहुँचाया है।
• अगर मेरी ममता या लगाव आप पर से कम हो जाए, तो जान लीजिए आपकी खुदगर्जी ने मुझे कई बार चोट पहुँचाई है।
• अगर मेरी कोई बात आपको चुभने वाली लगे, तो समझ जाइए ऐसे चुभने वाले शब्द आपने भी कई बार कहे हैं — अब आप बस उसका जवाब पा रहे हैं।
• अगर मैं पहले जैसा आपके साथ घुल-मिल नहीं पाती/पाता, तो समझिए आपने जो जख्म दिए थे, उन्हें मैं आज तक नहीं भूल पाई/पाया।
• अगर आपको लगे कि मैं आपके साथ बुरा व्यवहार कर रही/रहा हूँ, तो जान लीजिए कि आपकी बदतमीज़ी ने मेरी तहज़ीब छीन ली है।
• दुनिया के हर रिश्ते की कुछ सीमाएँ होती हैं। जब वो सीमाएँ पार हो जाती हैं, तो इंसान में असामान्य बदलाव आना स्वाभाविक है।
तुम्हारे व्यवहार से मुझे ठेस पहुँची,
लेकिन मैंने कोई शोर नहीं मचाया।
ना कोई शिकायत की,
बस खुद को धीरे से तुम्हारी ज़िंदगी से हटा लिया
एक शांत विदाई ली।
शायद तुमने सोचा होगा कि तुम जीत गए,
लेकिन वक्त के साथ यही खामोशी
एक दिन तुम्हारे अंतर्मन के दरवाज़े पर दस्तक देगी।
तुम चाहोगे उसे अनदेखा करना,
लेकिन यह खामोशी रुकेगी नहीं।
क्योंकि सच्चा विरोध कभी चीखता नहीं,
वो तो चुपचाप बहता है—
जब तक कि दिल में पछतावे की आहट न जागे।