प्रेमी?
नहीं, वो नहीं।
प्रेमी जुड़ाव चाहते हैं, अंतहीन तड़प, एक ऐसी प्यास जो कभी बुझती नहीं।
फ़्रेंड्स विथ बेनिफ़िट्स?
उससे तो बिल्कुल नहीं।
वो तो सुविधा है, जिसमें गहराई नहीं, कोई मायने नहीं।
साथी?
बिलकुल नहीं।
साथी वादे करते हैं, सपने बाँटते हैं, एक साथ हमेशा की कल्पना करते हैं।
हम इनमें से कुछ भी नहीं हैं।
हम परिभाषाओं के खिलाफ बग़ावत हैं, एक ऐसी चाह जो पलों में पूरी हो जाती है, बिना वादों का जूनून, एक ऐसा जुड़ाव जो शब्दों में नहीं, फुसफुसाहटों में बयाँ होता है।
हम एक-दूसरे की ओर सहजता से खिंचे चले आते हैं, इस यकीन के साथ कि ये रिश्ता चिरस्थायी नहीं।
हम क्या हैं?
हम वो हैं जो लफ़्ज़ों के बीच छिपा है, ना प्रेमी, ना अजनबी। चुराए गए लम्हों के सन्नाटे में, दुनिया की नज़रों से दूर, हम कुछ और हैं।
हम उस मुमकिन के टुकड़े हैं जो कभी पूरा नहीं हुआ।
हम वो सेकंड्स हैं जो सदियों जैसे लगते हैं।
हम एक कहानी हैं जो '...' में लिखी गई है—
अधूरी, अनसुलझी, अविस्मरणीय।
