अक्सर हम जीवन को उसकी बाहरी परतों से समझने की कोशिश करते हैं — नौकरी, पढ़ाई, पैसा, प्रतिष्ठा। हम मान लेते हैं कि यही सब कुछ है। डॉक्टर बनना, इंजीनियर बनना, कोई बड़ा व्यवसाय खड़ा करना — ये सभी ज़रूरी हैं, इसमें कोई संदेह नहीं। ये चीज़ें जीवन को चलाने के लिए जरूरी हैं। लेकिन क्या सिर्फ चलाते रहना ही काफी है?
सवाल ये है — हम किसके लिए जीते हैं?
क्या आपने कभी कोई कविता पढ़ी है जो सीधे दिल में उतर गई हो? कोई गीत सुना है जिसने कुछ अनकहा कह दिया हो? कोई क्षण ऐसा जिया है जो शब्दों से परे था — सिर्फ महसूस करने जैसा?
यही वो क्षण हैं जो हमें याद रहते हैं। और यही वो चीज़ें हैं जिनके लिए हम जीते हैं।
हमारे भीतर भावनाओं की एक दुनिया है — प्रेम, सौंदर्य, आशा, चाहत, दुःख, और कई बार बस एक गहरी चुप्पी। ये चीज़ें हमें एक-दूसरे से जोड़ती हैं। ये ही वो एहसास हैं जो हमें इंसान बनाते हैं।
कविता, कला, संगीत — ये सब हमारे अंदर की उस गहराई को छूते हैं जिसे हम शब्दों में नहीं कह सकते, लेकिन महसूस जरूर कर सकते हैं।
सच तो ये है कि हम सुबह उठकर केवल दफ़्तर जाने या ज़िम्मेदारियाँ निभाने के लिए नहीं जीते। हम जीते हैं उस एक मुस्कान के लिए, उस एक लेख के लिए जो दिल को छू जाए, उस एक शाम के लिए जिसमें आसमान कुछ कह जाए। हम जीते हैं उस कविता के लिए जो हमें खुद से मिलवा दे।
क्योंकि ज़िंदगी सिर्फ साँस लेने का नाम नहीं है। ज़िंदगी उस पल का नाम है जब हमें अपने होने का एहसास होता है।
