एक छोटे कस्बे में आदित्य नाम का एक लड़का रहता था। वह हमेशा लोगों को अपनी ताकत, अपनी काबिलियत और अपनी जीत का ढिंढोरा पीटता था। हर काम में दिखावा करना, अपनी उपलब्धियों को बड़ा चढ़ाकर बताना उसकी आदत बन चुकी थी।
दूसरी तरफ़, उसी कस्बे में आरव नाम का एक साधारण लड़का था। वह कभी अपने गुणों का बखान नहीं करता था। लोग अक्सर उसे देखकर कहते –“ये तो बहुत ही साधारण है, इसमें कोई ताकत नहीं है।”वह मुस्कुराता और कहता –“हाँ, मैं कमजोर हूँ।”
आदित्य को हमेशा लगता था कि ताकतवर दिखने से ही लोग सम्मान देंगे, लेकिन वह यह भूल जाता था कि असली ताकत दिखावे में नहीं, बल्कि भीतर छिपी हुई विनम्रता और धैर्य में होती है।
एक दिन कस्बे में प्रतियोगिता हुई – दौड़, तैराकी और दिमागी पहेली।आदित्य पूरे कस्बे के सामने शान से बोला –“देख लेना, मैं सबको हरा दूँगा। मेरी ताकत के सामने कोई टिक नहीं पाएगा।”
आरव चुप रहा, बस मुस्कुराया।लोगों ने सोचा – "ये तो कमजोर है, ये क्या कर पाएगा?"
प्रतियोगिता शुरू हुई।
दौड़ में आदित्य सबसे आगे निकला, लेकिन घमंड में उसने आख़िरी चक्कर में ध्यान नहीं दिया और गिर पड़ा।
तैराकी में भी उसने जल्दबाज़ी दिखाई और बीच में ही थक गया।
आख़िरी राउंड था दिमागी पहेली का। वहाँ उसकी जल्दबाज़ी और दिखावा उसके काम न आया।
आरव ने चुपचाप, बिना शोर किए, धैर्य से हर राउंड खेला। वह कहीं भी हड़बड़ाया नहीं। धीरे-धीरे उसने सब पार कर लिया और अंत में विजेता बन गया।
सारे लोग हैरान थे।उन्होंने कहा –“तुम तो हमेशा खुद को कमजोर कहते थे, फिर जीते कैसे?”
आरव मुस्कुराया और बोला –“ताकतवर बनने का दिखावा करना आसान है, लेकिन असली ताकत तो तब दिखती है जब तुम धैर्य, मेहनत और विनम्रता से आगे बढ़ते हो। मैं कमजोर होने का दिखावा करता था, ताकि लोग मेरी उम्मीदें कम रखें और मैं अपनी मेहनत से उन्हें हैरान कर सकूँ। असली जीत शोर मचाने में नहीं, चुपचाप काम करने में है।”
आदित्य सिर झुकाकर समझ गया कि ताकत का असली मतलब मांसपेशियों या ऊँची आवाज़ में नहीं है, बल्कि संयम, आत्मविश्वास और विनम्रता में है।
✨ सीख –
दिखावा करने से ताकत साबित नहीं होती।
कभी-कभी “कमजोर दिखना” भी एक कला होती है, क्योंकि तभी आप चुपचाप मेहनत करके सबसे बड़ा सबूत पेश करते हो।
असली ताकत वही है, जो बिना शोर किए परिणाम देती है।
तुम ताकतवर होने का दिखावा करते हो.. और हम कमजोर होने का..🫶
