“रंग नहीं, स्वभाव ही असली सुंदरता है”
गाँव के एक सम्मानित परिवार में आर्यन नाम का युवक रहता था। पढ़ाई में अच्छा, नौकरी भी ठीकठाक थी। जब उसकी शादी की बात आई तो परिवार ने अलग-अलग लड़कियों के रिश्ते दिखाने शुरू कर दिए।
आर्यन का मन एक ही बात में अटकता – “दुल्हन गोरी और सुंदर होनी चाहिए।”उसके दोस्त भी उसे उकसाते –“भाई, ज़िन्दगी भर साथ रहना है। शादी तो हसीन चेहरे से ही करनी चाहिए।”
पहला रिश्ता – सिर्फ सुंदरता
कुछ समय बाद आर्यन की शादी एक बहुत ही गोरी और सुंदर लड़की रिया से तय हो गई। शादी धूमधाम से हुई। शुरुआत के कुछ दिन तो सब अच्छा रहा, लेकिन जल्द ही असली तस्वीर सामने आने लगी।
रिया का स्वभाव जरा रूखा था।
छोटी-सी गलती पर गुस्सा कर देती,
घरवालों से बेमन से बात करती,
और हर समय अपनी खूबसूरती पर ही इतराती।
आर्यन को एहसास होने लगा कि सुंदरता तो सिर्फ बाहर से है, लेकिन भीतर से उसका रिश्ता खाली और ठंडा है। घर में अक्सर तकरार होती और आर्यन का मन टूटने लगा।
दूसरा उदाहरण – रंग सांवला, दिल सुनहरा
आर्यन का एक दोस्त समीर था। उसने एक साधारण दिखने वाली लड़की अनामिका से शादी की थी। अनामिका का रंग सांवला था, लेकिन स्वभाव बेहद मीठा और व्यवहारिक।
वह सबका आदर करती,
पति की छोटी-छोटी ज़रूरतों का ध्यान रखती,
और हर कठिनाई में साथी बनकर खड़ी रहती।
आर्यन जब उनके घर जाता, तो उसे महसूस होता कि वहाँ सचमुच “घर जैसा घर” है। छोटा-सा घर था, लेकिन हँसी-खुशी और अपनापन भरा हुआ।
आर्यन का पश्चाताप
धीरे-धीरे आर्यन को समझ आने लगा कि उसका निर्णय सिर्फ चेहरे और रंग देखकर करना गलत था। सुंदरता ने उसे चार दिन का आकर्षण दिया, लेकिन स्वभाव ने उसका चैन छीन लिया।
वह सोचने लगा –“काश, मैंने भी साथी चुनते समय चेहरे से ज्यादा दिल और स्वभाव को देखा होता। ज़िन्दगी का असली सुख तो व्यवहार और अपनापन में है, न कि रंग-रूप में।”
शिक्षा
जीवनसाथी चुनते समय गोरे-काले चेहरे से ज़्यादा उसके दिल और स्वभाव को देखना चाहिए।
सुंदरता चार दिन का मोह है, लेकिन अच्छा स्वभाव जीवनभर का प्रेम और सुख देता है।
घर की शांति और रिश्तों की मिठास, चेहरे की सुंदरता से नहीं, बल्कि स्वभाव की सुंदरता से बनती है।
✨ इसलिए सच्चाई यही है –“चेहरा बूढ़ा हो सकता है, रंग फीका पड़ सकता है, लेकिन अच्छे स्वभाव की रोशनी कभी कम नहीं होती। वही रोशनी ज़िन्दगी भर का सुख देती है।”
