हर उस स्त्री के लिए जो अपने तूफ़ान से उठ रही है
प्रिय स्त्री,
तुमने वो सब सहा है, जो शायद दुनिया कभी जान ही नहीं पाएगी।
तुम्हारी आँखों ने ऐसे आँसू देखे हैं जिन्हें किसी ने बहते हुए नहीं देखा।
तुमने चुपचाप ऐसी लड़ाइयाँ लड़ी हैं जो तुम्हारे भीतर ही भीतर चलती रहीं — और फिर भी, हर सुबह तुम उसी दृढ़ता और उसी गरिमा के साथ उठ खड़ी होती हो।
जीवन हमेशा सहज नहीं होता। यह अक्सर हमें उस रूप में नहीं मिलता, जैसा हमने सोचा था। कभी-कभी यह हमारी परीक्षा लेता है। कभी-कभी यह हमें उन्हीं ज़ख्मों में वापस ले जाता है जिन्हें हम भर चुका मान लेते हैं। और जब ऐसा होता है, तो दर्द हमें अंदर तक तोड़ देता है। लेकिन उसी टूटन में, उसी बिखराव में, एक नई ऊर्जा छिपी होती है — वो ऊर्जा जो हमें पहले से कहीं अधिक मजबूत बना सकती है।
दर्द तुम्हारे अंत की निशानी नहीं है। वह एक नई शुरुआत की दस्तक है। वह तुम्हारे भीतर सोई उस स्त्री को जगाता है जो और अधिक समझदार, और अधिक सशक्त है। जब एक स्त्री दर्द से उठती है, तो वह सिर्फ़ अपना इलाज नहीं करती — वह अपने पूरे अस्तित्व को एक नए रूप में ढाल लेती है। वह अपनी पीड़ा को अपनी पहचान नहीं बनने देती, बल्कि उसे अपने विकास की सीढ़ी बना लेती है।
तुमने जो सहा, वह तुम्हारी कमजोरी नहीं है — वह तुम्हारी शक्ति है।
तुम्हारी कोमलता, तुम्हारी संवेदनशीलता — ये तुम्हारे भीतर की असली ताकत हैं।
रोना तुम्हें कमज़ोर नहीं बनाता। खुद के लिए करुणा रखना तुम्हारा साहस है।
हर वो घाव जो अभी भी चुभता है, वो एक सबक है — और वो सबक तुम्हें हर रोज़ एक नई ऊँचाई पर ले जा रहा है।
तुम्हें यह साबित करने की ज़रूरत नहीं कि तुम सबकुछ जानती हो, सबकुछ कर सकती हो।
तुम्हें बस चलते रहना है — एक-एक कदम, एक-एक सांस।
क्योंकि तुम लगातार बदल रही हो, निखर रही हो, और एक नई स्त्री में ढल रही हो।
इसलिए, अगर आज तुम्हें कुछ भी असहनीय लग रहा है — तो याद रखो, यह स्थायी नहीं है।
यह दर्द बीत जाएगा।
लेकिन इस दर्द से जो शक्ति तुम अर्जित करोगी, वह हमेशा तुम्हारे साथ रहेगी।
वह तुम्हें संभालेगी, आगे बढ़ाएगी, और हर उस क्षण में साथ देगी जब दुनिया से तुम्हें खुद को साबित करने की ज़रूरत होगी।
तुम वो नहीं हो जो तुम्हारे साथ हुआ।
तुम वो हो, जो तुम उस सबके बावजूद बन रही हो।
इसलिए सिर ऊँचा रखो।
अपने दिल को प्यार से भरो।
और कभी मत भूलो —
तुम असीम शक्ति, करुणा और सौंदर्य का जीवंत प्रमाण हो।
तुम सुंदर हो, क्योंकि तुम उठी हो — बार-बार, हर बार।
