प्यार केवल खुशी के पलों का साथी नहीं होता। असली प्यार तो वो होता है जो हर मौसम, हर हालत में साथ खड़ा रहता है—चुपचाप, बिना शोर किए, बस होने भर से बहुत कुछ कहता हुआ।
कभी ऐसा दिन आए जब तुम्हारा दिल भारी हो जाए, आँखों में आंसू हों लेकिन कोई मुस्कान बाकी न रह जाए—तो बस मुझे याद करना। मुझे बुला लेना। हो सकता है मेरे पास तुम्हें सँभालने के लिए सही शब्द न हों, लेकिन मैं तुम्हारे पास बैठूंगा। तुम्हारे दुख के लिए जगह बनाऊँगा। तुम्हारी चुप्पियों में शामिल हो जाऊँगा, और अगर ज़रूरत पड़ी, तो मेरे आँसू भी तुम्हारे साथ बहेंगे। क्योंकि जब तक मैं हूँ, तुम्हें कभी अकेले रोना नहीं पड़ेगा।
अगर कभी तुम्हें लगे कि ये दुनिया बहुत तेज़ हो गई है—ज़िम्मेदारियों, अपेक्षाओं और दर्द से भरी—और तुम सब कुछ छोड़कर बस भाग जाना चाहो, तो डरना मत। मैं तुम्हें रोकूंगा नहीं। लेकिन मैं तुम्हारे साथ चलूँगा, तुम्हारे साथ दौड़ूँगा। बिना सवाल किए, बिना किसी फैसले के। सिर्फ ये जताने के लिए कि तुम अकेले नहीं हो।
अगर ज़िंदगी कभी सुनी-सुनी लगे—हर दिन एक-सा, हर पल थका-थका—तो मुझे पुकार लेना। शायद मैं उन पलों को रंगीन न बना पाऊँ, लेकिन मैं तुम्हारे साथ उस खामोशी में बैठूंगा। उस ठहराव को महसूस करूंगा। और तुम्हें ये एहसास दिलाऊँगा कि जब कोई तुम्हें समझता है, तो सबसे साधारण दिन भी कुछ खास हो सकते हैं।
और अगर एक दिन, किसी कांपती आवाज़ में, किसी धीमी सी फुसफुसाहट में, तुम मुझसे कह दो कि तुम मुझसे प्यार करते हो—तो मैं वादा करता हूँ, मैं भी उसी सच्चाई से तुम्हें जवाब दूंगा। वो सच्चाई जो कब से मेरे दिल में छुपी हुई है: "मैं भी तुम्हें चाहता हूँ, और मैं भी कब से ये कहने का इंतज़ार कर रहा हूँ।"
क्योंकि तुम्हें चाहना मेरे लिए कोई तैयारी का काम नहीं है। ये तो वो एहसास है, जो हमेशा से मेरे भीतर था।
तो चाहे तुम टूट रहे हो या किसी जादू में खो रहे हो, मैं यहीं रहूँगा। तुम्हारे साथ। हर समय। तुम्हें ठीक करने के लिए नहीं, बल्कि तुम्हारे साथ हर भावना को पूरी तरह से जीने के लिए।
क्योंकि प्यार का असली मतलब यही होता है—हाज़िर रहना।
आँसुओं में, भागने की ख्वाहिश में, खामोशियों में, और सबसे ज़्यादा… उस पल में, जब तुम्हारा दिल मेरे नाम धड़कता है।