अगर किसी दंपति से पूछा जाए,
"आप दोनों एक-दूसरे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं?"
तो अधिकतर दंपति दिल पर हाथ रखकर यह नहीं कह पाएंगे
कि उनके बीच दोस्ताना व्यवहार है।
अगर किसी दंपति से पूछा जाए,
"आपका सबसे अच्छा दोस्त कौन है?"
तो भी अधिकांश लोग दिल से यह नहीं कह पाएंगे
कि उनका जीवनसाथी ही उनका सबसे अच्छा दोस्त है।
यही एक दूरी, एक खामोश दीवार,
पति-पत्नी के बीच खिंच जाती है
और धीरे-धीरे उन्हें एक-दूसरे से अलग कर देती है।
जब जीवनसाथी निराशा में डूबा होता है,
तो बहुत कम लोग होते हैं
जो उसका मानसिक सहारा बनते हैं,
जो उसे थामकर फिर से सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश करते हैं।
अगर आपका साथी अपने दिल की बातें आपसे न कह सके,
तो आप खुद को उसका "जीवनसाथी" कैसे कह सकते हैं?
दुनिया का सबसे मधुर, सबसे आत्मीय और सबसे सुखद रिश्ता
पति-पत्नी का होता है।
लेकिन जब इस रिश्ते में भी छिपाव, संकोच और संवादहीनता आ जाती है,
तो यह रिश्ता धीरे-धीरे सिर्फ एक समझौता बनकर रह जाता है।
दुनिया में ऐसा कोई विषय नहीं है,
जिसे पति-पत्नी एक-दूसरे से साझा न कर सकें।
समस्या यह है कि हम खुद अपने जीवनसाथी से दोस्ती नहीं करना चाहते।
हम एक दूरी बना लेते हैं,
हम सोचते हैं कि अगर ज़्यादा खुलकर बोलेंगे या भावनाएँ व्यक्त करेंगे,
तो शायद हमारे सम्मान में कमी आ जाएगी।
लेकिन ऐसा नहीं है।
सच तो यह है कि जीवनसाथी ही
इस दुनिया में वह इंसान है
जिससे आप सब कुछ साझा कर सकते हैं,
बिना किसी डर, संकोच या नुकसान के।
जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच
रुचि हो, समझ हो, एक-दूसरे के लिए समय और स्नेह हो।
सच कहूँ तो,
जिनके वैवाहिक जीवन में दोस्ती होती है,
वही लोग वास्तव में सुखी होते हैं।
वरना,
जिस रिश्ते में दोस्ती नहीं होती,
वह रिश्ता धीरे-धीरे बोझ बन जाता है।
