कभी-कभी अपने ही दिमाग में खो जाना बहुत आसान होता है। एक नकारात्मक सोच आती है और ऐसा लगता है जैसे पूरा दिन खराब हो गया हो।
लेकिन ज़रा रुकिए।
आप आपके विचार नहीं हैं। आप वो हैं जो इन विचारों को सुनते हैं।
इसका मतलब है — आपके पास एक विकल्प है।
आप उस उथल-पुथल को देख सकते हैं, उसका हिस्सा बने बिना।
आप डर को महसूस कर सकते हैं, उसे बढ़ाए बिना।
आप कह सकते हैं, “ये बस एक सोच है। ये चली जाएगी।”
और सच में, ये चली जाएगी।
जैसे आसमान में बदलते बादल — विचार भी अस्थायी होते हैं।
जो ठहरता है, जो आपको आकार देता है — वो है आपका ध्यान।
आप किस पर ध्यान देते हैं, वही मायने रखता है।
तो प्रेम पर ध्यान दीजिए।
करुणा पर।
उस शांति भरे सच पर कि आप अभी भी यहाँ हैं — अभी भी बढ़ रहे हैं,
अभी भी प्रयास कर रहे हैं।
और यही काफ़ी है। बहुत काफ़ी।
