किसी की पत्नी ने यदि पति से लड़ने का मन बना लिया है फिर वो किसी न किसी बात का बतंगड़ बनाकर झगड़ ही लेती है,,
झगड़ने से पहले मुंह फुलाकर घर के काम करेंगी,
जैसे वो खाना बना रही हों या वो बर्तन धुल रहीं हैं तो पिछले दिनों की अपेक्षा बर्तनों की आवाज़ ज्यादा आएगी...
इस पर यदि पति ने पूछा लिया तो अधिकतर यही कहेंगी...
"मेरी परवाह ही किसको है, मेरा भी बदन दुखता है,,
खुद की तबीयत खराब हो तो पता चलता..!!"
......... ...... ......... ...... ......... ...... ..... ..... .....
पति भी ये सोचकर हैरान कि अभी तो कुछ देर पहले मेरे साथ बिस्तर पर थी, फिर साथ में हमने चाय पी... मैंने कुछ इसको कहा भी नहीं, फिर आखिर क्या हो गया..!!
अगर तबीयत बिगड़ रही थी तो सीधे शब्दों में भी कह सकती थी कि मेरी दवा ला दीजिए...या मुझे आराम करना है..!!
मगर नहीं....
जैसा मैंने कहा कि यदि पत्नी ने लड़ने और खरी खोटी सुनाने का मन बना लिया है तो वो किसी न किसी बहाने से लड़ ही लेगी ..!!
पत्नियां, पति की कही किसी बात को मन में गांठ बांधे रहती हैं,,,फिर झगड़ते वक्त पति को पता चलता है कि ये बात कहे तो महीनों या सालों हो चुके हैं..!!
एक बात गांठ मार लीजिए...
समाज जिन्हें जोरू का गुलाम कहकर चिढ़ाता है,
सही मायनों में वो ही दाम्पत्य जीवन का सुख उठा पाते हैं..!!
यूंही नहीं गृहस्थ आश्रम को सबसे कठीन कहा जाता है..!!
((नोट- ये पोस्ट शादीशुदा पुरूषों के अनुभवों पर आधारित है, कुंवारे लड़के सबक लें, और तूफान के आने से पहले की दस्तक पहचान कर पहले से सतर्क होकर सुखी दाम्पत्य जीवन व्यतीत करें 🙏 ❗))