चलो साथ में नहाते हैं, कुएँ का पानी बहुत बढ़िया है।
सत्य को अभी भी संदेह था, उसने पानी की जाँच की और पाया कि यह वाकई बढ़िया है। इसलिए वे नग्न हो गए और नहाने लगे।
लेकिन अचानक, झूठ पानी से बाहर निकल आया और सत्य के कपड़े पहनकर भाग गया।
सत्य क्रोधित होकर अपने कपड़े वापस लेने के लिए कुएँ से बाहर निकला।
लेकिन दुनिया ने नग्न सत्य को देखकर क्रोध और घृणा से दूर देखा।
बेचारा सत्य कुएँ में वापस आ गया और अपनी शर्म को छिपाते हुए हमेशा के लिए गायब हो गया।
तब से, झूठ सत्य के वेश में दुनिया भर में घूमता है, और समाज बहुत खुश है..... क्योंकि दुनिया को नग्न सत्य को जानने की कोई इच्छा नहीं है।
बहुत दिन तक सत्य कुएं में रहा, फिर ऊब कर बाहर निकला और देखा झूठ के कपड़े वैसे ही पड़े थे, मरता क्या ना करता, उसने झूठ के कपड़े पहने और संसार में आ गया, जहां झूठ सत्य के लिबास में हाजिर था, और सत्य ने चिल्ला चिल्ला कर कहा, मैं सत्य हूं, लेकिन पोशाक से आदमी को पहचानने वाली दुनियां में उसकी एक ना सुनी गई, आज भी जब झूठ कहता है कि मैं सत्य हूं तो वह सत्य प्रमाणित होता है, और जब सत्य कहता है कि मैं सत्य हूं तो वह झूठ साबित कर दिया जाता है,
