"इंसान मात्र से ही गलतियाँ होती हैं" — गलती करना कोई समस्या नहीं है, लेकिन गलती पर अड़े रहना जरूर है।
गलती करना अपराध नहीं है। बल्कि गलती के लिए पछतावा न करके, उल्टा उसे पकड़कर बैठे रहना ही असली अपराध है!
जीवन में ठोकरें न खाएं तो रास्ता कितना कठिन है और हर मोड़ पर क्या छिपा है, ये समझ ही नहीं आता। हममें से कोई नहीं जानता कि ज़िंदगी के किस मोड़ पर क्या इंतज़ार कर रहा है।
फिर भी हमें चलते रहना होता है — क्योंकि अगर हम बैठ जाएँ तो जीवन नहीं रुकेगा। जीवन तो एक बहती नदी की धार की तरह है — निरंतर आगे बढ़ती हुई।
गलतियों से सीखिए — गलती हो तो 'सॉरी' बोलने का साहस रखिए। अनजाने में हुई गलती कोई अपराध नहीं, लेकिन जानबूझकर की गई गलती सिर्फ अपराध नहीं, बल्कि अपराध से भी बढ़कर है!