एक दिन की बात है। खेत में काम कर के घोड़ा जब अपने अस्तबल में लौटा तो थक कर चुपचाप कोने में बैठ गया। उसने सोचा, “आज बहुत काम हो गया… थोड़ा आराम कर लूं।”
इतने में कुत्ता वहां आया और बोला –“अरे भाई घोड़े! कैसे हो?”
घोड़ा बोला –“थक गया हूं यार, दिन भर मालिक के लिए दौड़ता रहा। अब बस थोड़ा चैन चाहता हूं।”
कुत्ते ने सिर हिलाया और चला गया। रास्ते में उसकी मुलाकात गाय से हुई। उसने कहा –“अरे गाय बहन! पता है, घोड़ा कह रहा था कि उसका अब यहां मन नहीं लगता, बहुत थक जाता है बेचारा।”
गाय ने बात सुनी और आगे बढ़ गई। थोड़ी देर बाद वह भैंस के पास पहुंची और बोली –“लगता है घोड़ा अब यहां नहीं रहना चाहता। कहता है बहुत काम करना पड़ता है।”
भैंस ने आंखें फैलाईं और बोली –“अरे! ये तो बड़ी बात है।”
फिर भैंस ने बकरी को बताया –“घोड़ा अब मालिक से खुश नहीं है। कहता है, मालिक बहुत काम करवाता है, ऊपर से मारता भी है।”
शाम को जब नौकर अस्तबल साफ करने आया, तो बकरी उसके पास पहुंच गई और बोली –“सुनो जी, वो घोड़ा अब बहुत शिकायतें करता है। कहता है मालिक बुरा है, बहुत परेशान करता है। अब तो लगता है वो भाग जाएगा किसी और के यहां।”
नौकर चौक गया। वह भागा-भागा मालिक के पास पहुंचा और बोला –“मालिक! बड़ा अनर्थ होने वाला है। घोड़ा सब जानवरों को भड़का रहा है। कहता है, सबको लेकर किसी और मालिक के पास चला जाएगा।”
मालिक गुस्से में लाल हो गया। उसने सोचा, “ये सब मेरी मेहनत का फल खा रहे हैं, और अब विद्रोह करेंगे?”और बिना कुछ सोचे, उसी रात उसने घोड़े को जहर का इंजेक्शन देकर मार डाला।
सुबह जब बाकी जानवरों को खबर मिली, तो सब स्तब्ध रह गए।वो बेचारा घोड़ा, जिसने कभी किसी से बुरा नहीं किया, सिर्फ एक थकी हुई बात कह दी थी —और वो बात इतनी तोड़-मरोड़ कर आगे बढ़ी कि उसकी जान चली गई।
सीख:
ये दुनिया बहुत मतलबी और चालाक है।हर कोई बात में नमक-मिर्च लगाकर उसे आगे फैलाता है।अपनी और अपने परिवार की बातें हर किसी से साझा मत करो।यहां लोग सिर्फ मुँह पर अपने होते हैं,पीठ पीछे वही लोग आपकी जड़ें काटने में लगे रहते हैं।
कभी-कभी एक “थक गया हूं” जैसी साधारण बात भीदुनिया की गलत जुबानों में ज़हर बन जाती है।
