एक छोटे से गाँव में दो परिवार रहते थे — शर्मा जी और वर्मा जी। दोनों एक-दूसरे के पड़ोसी थे और बरसों से आपस में बहुत अच्छे संबंध थे। बच्चे साथ खेलते, महिलाएँ साथ मंदिर जातीं और दोनों परिवार एक-दूसरे के सुख-दुख में हमेशा साथ खड़े रहते। लेकिन एक दिन एक छोटी-सी बात ने पूरे रिश्ते को झकझोर कर रख दिया।
एक सुबह शर्मा जी के आँगन में आम का एक पेड़ से कुछ फल गिरे हुए थे। शर्मा जी ने देखा कि कुछ आम कम हैं। तभी उन्होंने देखा कि वर्मा जी का बेटा रोहित हाथ में दो आम लिए उनके आँगन से निकल रहा था। शर्मा जी को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने बिना कुछ सोचे तुरंत वर्मा जी के घर जाकर कहा,“आपका बेटा चोरी करता है! मेरे पेड़ से आम तोड़कर ले गया है!”
वर्मा जी को यह बात बहुत बुरी लगी। उन्होंने जवाब दिया,“शर्मा जी, आप कहने से पहले सोचिए, मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता।”
दोनों के बीच बहस बढ़ गई। बात इतनी बिगड़ गई कि गाँव के पंच तक पहुँची। अब गाँव में चर्चा फैल गई — ‘वर्मा का बेटा चोर है’ और ‘शर्मा जी ने झूठा इल्ज़ाम लगाया’। दोनों परिवारों के रिश्ते टूट गए। बच्चे भी अब साथ नहीं खेलते थे।
पंचायत बैठी। शर्मा जी ने कहा,“मैंने अपनी आँखों से देखा कि रोहित आम लेकर जा रहा था।”वर्मा जी ने कहा,“मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता, ज़रूर कोई गलतफ़हमी है।”
पंचों ने तय किया कि पहले बच्चे को बुलाया जाए।जब रोहित आया, तो वह घबराया हुआ था। उसने धीमी आवाज़ में कहा,“शर्मा अंकल, मैंने आम नहीं तोड़े थे। वो दो आम तो पहले से ज़मीन पर गिरे हुए थे। मैंने बस उन्हें उठाकर आपकी दीवार के पास रख दिए ताकि गाय न खा ले। पर तभी आप आ गए और मैंने डर के मारे आम हाथ में ही पकड़ लिए।”
पूरा माहौल एकदम शांत हो गया। शर्मा जी को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने कहा,“बेटा, मुझसे भूल हो गई। मैंने बिना पूरा सच सुने तुम्हें गलत समझ लिया।”
वर्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा,“शर्मा जी, कोई बात नहीं। इंसान गलती करता है, लेकिन सच्चाई जानने के लिए दोनों पक्षों को सुनना बहुत ज़रूरी है।”
उस दिन के बाद गाँव में यह बात फैल गई —
“कहानी जिस पक्ष से सुनोगे वही सही लगेगी।इसलिए निर्णय लेने से पहले दोनों पक्षों को सुनना जरूरी है।”
शर्मा जी और वर्मा जी फिर से दोस्त बन गए, लेकिन अब दोनों हर बात को “एकतरफा” नहीं सुनते थे। उन्होंने अपने बच्चों को भी यही सिखाया कि सच हमेशा दो ओर से आता है, और न्याय वही होता है जो दोनों की बात सुनकर किया जाए।
उस दिन गाँव ने एक बहुत बड़ी सीख ली —💬 “सत्य हमेशा बीच में होता है, किसी एक के शब्दों में नहीं।”
कहानी जिस पक्ष से सुनोगे वही सही प्रतीत होगा। इसलिए किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों को सुनना बहुत जरूरी है।
