हमारे समाज और मानसिकता में अक्सर एक औरत के शरीर को, खासकर उसके स्त*नों और यो*नि को, सिर्फ एक भोग की वस्तु और पुरुष की का*मुक इच्छाओं की पूर्ति का साधन समझा जाता है। यह सच है कि जैविक रूप से, ये अंग आकर्षण का एक बड़ा केंद्र होते हैं। लेकिन यह दृष्टि अत्यंत संकीर्ण और अधूरी है। यह वही दृष्टि है जो मेरे मन में भी थी।
मेरी शादी प्रीति से हुई। शुरुआती दिनों का आकर्षण निस्संदेह शारीरिक था। उसका सुडौल शरीर, उसके अंग... यह सब मेरे लिए एक उत्सुकता और चाहत का विषय था। मेरा प्रेम अभी एक परीक्षा के दौर से गुजरना बाकी था। जब वह मेरे शारीरिक advances को अस्वीकार कर देती, तो मेरा मन उदास हो जाता, जिससे स्पष्ट था कि मेरी भावनाएँ अभी पूरी तरह से शुद्ध नहीं थीं। मैं उसके शरीर से प्यार करता था या उससे—यह प्रश्न अभी अनुत्तरित था।
लेकिन जीवन हमें वो पाठ पढ़ाता है जो हमें किताबों से नहीं मिलते। प्रीति के गर्भवती होने और फिर प्रसव के उस निर्णायक दिन ने मेरी सोच को पूरी तरह से बदल कर रख दिया।
वह दृश्य जो मेरी दृष्टि बदल गया:
डिलीवरी रूम में, प्रीति तीव्र पीड़ा में थी। उसकी जान जा रही थी। डॉक्टर ने मुझे अंदर बुलाया। वहाँ, मेरी पत्नी नग्न अवस्था में थी, पूरी तरह से असहाय और वही योनि, जिसे मैं सिर्फ आनंद के स्रोत के रूप में देखता था, अब एक ऐसा द्वार था जिससे हमारे बच्चे का जीवन बाहर आने का संघर्ष कर रहा था। यह चीजों को देखने का एक बिल्कुल अलग नजरिया था।
फिर, जब बच्चा बाहर आया, उसे साफ करके तुरंत प्रीति के सीने से लगाया गया। वही स्तन, जिनकी कल्पना मैंने हमेशा वास्निक सुख के लिए की थी, अब उनका एकमात्र उद्देश्य इस नन्हें जीवन को गर्माहट देना, उसे सुरक्षा का अहसास कराना और उसका पोषण करना था।
ज्ञान का क्षण:
उस पल में, मैंने देखा कि एक स्त्री का शरीर मर्दाना इच्छाओं की पूर्ति के लिए नहीं, बल्कि सृष्टि के सबसे बड़े चमत्कार को अंजाम देने के लिए बना है। यह जीवन का द्वार है, पोषण का स्रोत है, और अकथनीय पीड़ा सहने की शक्ति का प्रतीक है।
मेरे लिए प्रीति अब सिर्फ एक सुंदर शरीर नहीं थी। वह एक वह योद्धा थी जिसने मेरे बच्चे को जन्म देने के लिए अपने शरीर को तोड़ने-फोड़ने की पीड़ा झेली। मेरा प्यार अब केवल शारीरिक आकर्षण से ऊपर उठ चुका था। यह सम्मान, कृतज्ञता और एक गहरी, अटूट बंधन में बदल गया था।
व्यापक सबक (Broader Lessons):
स्त्री के शरीर का वास्तविक सम्मान: किसी स्त्री के शरीर की सुंदरता उसकी बाहरी आकृति में नहीं, बल्कि उस अद्भुत शक्ति में है जो जीवन देना, पोषण करना और समर्पण करना जानती है। उसके अंगों को सिर्फ भोग की वस्तु समझना उसकी महानता का अपमान है।
प्रेम की यात्रा: सच्चा प्रेम अक्सर शारीरिक आकर्षण से शुरू होता है, लेकिन उसे वहीं रुकना नहीं चाहिए। असली प्रेम तब विकसित होता है जब आप अपने साथी की आत्मा, उसके त्याग और उसकी ताकत को पहचानते और सम्मान देते हैं।
मातृत्व का बलिदान: उस दिन मुझे अपनी माँ का भी एहसास हुआ। हर माँ ने हमें इस दुनिया में लाने के लिए वही अकल्पनीय पीड़ा झेली है। यह एहसास हमें उनके प्रति हमारे सम्मान और प्रेम को गहरा करना चाहिए।
पुरुषों के लिए जिम्मेदारी: पुरुष होने के नाते, हमारी जिम्मेदारी है कि हम औरतों की इस शक्ति और त्याग को पहचानें। हमें उनके शरीर को सिर्फ अपनी इच्छाओं की नजर से देखने के बजाय, उस चमत्कार के प्रति आदर भाव रखना चाहिए जो वह करने में सक्षम है।
आज, प्रीति के प्रति मेरा प्यार उस दिन से कहीं ज्यादा गहरा और प्रामाणिक है। वह मेरी पत्नी है, मेरे बच्चे की माँ है, और एक ऐसी शख्सियत है जिसके सम्मान और प्रेम के लिए मैं सदैव तत्पर रहूंगा। उस दिन मैंने सीखा कि स्त्री का शरीर भोग के लिए नहीं, बल्कि पूजा के योग्य है—उस शक्ति की पूजा जो सृष्टि का आधार है। और यही वह ज्ञान है जो हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी में समझना चाहिए।
