शादी के शुरुआती दिन हमेशा किसी सपने जैसे लगते हैं। यश और पायल की शादी भी कुछ ऐसी ही थी। दोनों घंटों बातें करते, एक-दूसरे की छोटी-छोटी पसंद का ध्यान रखते। हर पल में एक ताजगी थी।
लेकिन वक्त बीतते-बीतते हालात बदलने लगे। यश का ध्यान काम पर ज़्यादा और पायल पर कम होने लगा। देर रात घर आना, थका हुआ चेहरा, और सिर्फ़ जिम्मेदारियों की बातें। पायल अक्सर सोचती –"क्या शादी का मतलब बस यही है? काम, थकान और चुप्पी?"
फिर भी उसने शिकायत नहीं की।उसे याद है, एक शाम यश बहुत थककर लौटे थे। खाना खाकर जब वे बिस्तर पर गए तो पायल ने उनके कंधों और पैरों की मालिश की। धीरे-धीरे यश की साँसें हल्की होने लगीं और आँखें बंद होकर गहरी नींद में डूब गईं। पायल को लगा –"ठीक है, मैंने उनका बोझ हल्का किया। यही मेरा योगदान है।"
लेकिन अगले ही दिन हालात उलट गए।उस दिन पायल पूरे दिन भाग-दौड़ में रही। ऑफिस का काम, बाहर के काम, घर की जिम्मेदारियाँ – सब मिलाकर उसका शरीर टूट रहा था। रात को जब वो घर लौटी तो बस यही चाहती थी कि कोई उसे थोड़ी राहत दे। उसने धीरे से कहा –"यश, ज़रा मेरे सिर की मालिश कर दो, बहुत भारी लग रहा है।"
लेकिन यश ने करवट बदली और थके हुए स्वर में कहा –"पायल, बहुत थक गया हूँ… कल कर दूँगा।"और फिर सो गए।
उस पल पायल की आँखों में नमी थी। उसने सोचा –"क्या प्यार सिर्फ़ एक तरफ़ा देने का नाम है? क्या मैं हमेशा उनकी थकान उतारूँगी और मेरी थकान का कोई ख्याल नहीं रखेगा?"
मोड़
लेकिन पायल ने हार नहीं मानी। अगले दिन उसने यश से साफ़-साफ़ बात की।"यश, मैं जानती हूँ तुम काम से थक जाते हो। लेकिन शादी का मतलब सिर्फ़ अपनी-अपनी थकान ढोना नहीं है। कभी मैं तुम्हारा सहारा बनूँगी, कभी तुम मेरा। तभी तो रिश्ता मजबूत होगा। अगर सिर्फ़ एक ही देता रहेगा और दूसरा लेता रहेगा, तो ये रिश्ता टूटने लगेगा।"
यश चुप रहे, लेकिन उनकी आँखों में ग्लानि थी। उस दिन उन्हें समझ आया कि प्यार सिर्फ़ थकान का बहाना नहीं, बल्कि थकान में भी एक-दूसरे को सहारा देने का नाम है।
धीरे-धीरे उन्होंने छोटी-छोटी चीज़ों से शुरुआत की –
जब पायल थकी होती तो यश खुद चाय बना देते।
कभी उसके सिर की मालिश करते।
वीकेंड पर दोनों साथ में बाहर जाते, ताकि दिनचर्या का बोझ कम हो।
और सबसे ज़रूरी – वे फिर से एक-दूसरे से बातें करने लगे।
सीख
शादी में मुश्किलें आना तय है। लेकिन असली ताकत इस बात में है कि हम एक-दूसरे की थकान को कैसे साझा करते हैं।
सिर्फ़ अपनी थकान गिनाना आसान है, लेकिन साथी की थकान समझना रिश्ते की परिपक्वता है।
शादी निभाने के लिए “मैं” से ज़्यादा “हम” को महत्व देना पड़ता है।
प्यार कभी बराबर हिस्सों में नहीं बँटता, कभी तुम ज़्यादा दोगे, कभी तुम्हें ज़्यादा मिलेगा – लेकिन देना और लेना दोनों ज़रूरी हैं।
✨ अगर शादी को खूबसूरत बनाना है, तो बस इतना याद रखो – थके हुए जिस्म और दिमाग को सबसे अच्छा आराम साथी का साथ देता है।
सारांश
शादी निभाने का असली राज़ सिर्फ़ खुशियों को साझा करना नहीं, बल्कि थकान और बोझ को भी बाँटना है। अगर एक साथी हमेशा देता रहे और दूसरा सिर्फ़ लेता रहे, तो रिश्ता कमजोर पड़ जाता है। लेकिन जब दोनों एक-दूसरे की थकान समझकर छोटे-छोटे सहारे देते हैं – कभी चाय बनाकर, कभी मालिश करके, कभी बस साथ बैठकर – तभी शादी मजबूत और खूबसूरत बनती है।
