कुछ पुरुष रिश्ते में हमेशा पूरे दिल से समर्पित रहते हैं। वे हर पल अपनी साथी के लिए जीते हैं,उनकी छोटी-सी खुशी के लिए सबकुछ कर गुजरते हैं। लेकिन जब आप देखेंगे कि वही पुरुष धीरे-धीरे आपसे खुद को सिमटाने लगे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि वे किसी और रिश्ते में बंध गए हैं। इसका असली कारण है कि आपके व्यवहार और आपकी उपेक्षा ने उन्हें थका दिया है, और अब उन्होंने चुपचाप आगे बढ़ने का निर्णय ले लिया है।
जिस पुरुष की सुबह, दोपहर और शाम केवल आपको सोचकर बीतती थी, वही पुरुष जब चुप हो जाए, दूरी बनाने लगे, तो वजह कहीं और नहीं, बल्कि आप ही होती हैं। सच्चे प्रेम में पुरुष भी बेहद कोमल हो जाते हैं। वे अपनी साथी को दिल से अपनाते हैं, हर संभव त्याग करते हैं। लेकिन यदि उन्हें बार-बार उपेक्षा, अपमान और असम्मान का सामना करना पड़े, तो उनका दिल टूटने लगता है। और जब आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है, तो वे भी पीछे हट जाते हैं।
आप सोच सकती हैं कि "वह तो मेरे बिना रह ही नहीं सकता, मेरे बिना उसका क्या होगा?" लेकिन यह सोच ग़लत है। पुरुष भी इंसान हैं, कोई पत्थर नहीं। उनके भी सपने होते हैं, उनका भी आत्मसम्मान होता है। वह आपको प्रेम करते हैं, इसलिए बहुत कुछ सह लेते हैं। लेकिन हर सहनशीलता की भी एक सीमा होती है। पुरुष का दिल भी काँच की तरह है—एक बार टूट गया तो फिर जोड़ने पर भी उसमें दरारें रह जाती हैं।
इसलिए स्त्रियों से कहना चाहूँगी—
कभी भी अपने पुरुष साथी को उपेक्षा और असम्मान का स्वाद मत चखाइए।उनका प्रेम हल्के में मत लीजिए। क्योंकि अगर एक बार उन्होंने आपसे मुँह मोड़ लिया, तो चाहे जितनी कोशिश कर लें, आप उन्हें रोक नहीं पाएँगी।
