जहाँ भी हो तुम,
मेरी रूह की आवाज़,
मेरी धड़कनों की आहट क्या तुम तक पहुँचती है?
क्या कभी रातों में, मुझे याद कर तुम्हारी आँखें भीग जाती हैं?
क्या तुम भी,मेरी तरह,अपने बिस्तर पर करवटें बदलते हो?
किसी समंदर की लहरों का शोर क्या तुम्हारे भीतर की ख़ामोशी को और गहरा कर जाता है?
क्या चाँदनी रातों में,आसमान के तारों को देखते हुए
तुम्हारे ख़्वाब भी बिखर जाते हैं?
क्या तुम्हारा दिल भी मेरे लिए बेक़रार होता है?
अगर इन सवालों का जवाब हाँ है तो बस एक बार लौट आओ...मेरी बाँहें, मेरा दिल, मेरा घर तुम्हारे इंतज़ार में है और अगर नहीं...तो भगवान के लिए,किसी से कभी मत कहना कि तुमने मुझसे प्यार किया था क्योंकि वो प्यार नहीं,बस एक खूबसूरत झूठ था।
