चरित्र का आईना
एक छोटे कस्बे में रीना नाम की लड़की रहती थी। बचपन से ही उसकी सुंदरता की चर्चा हर जगह थी। लोग कहते थे – “रीना जैसी खूबसूरत लड़की पूरे मोहल्ले में नहीं है।” शादी हुई तो उसका पति अमित उसे बहुत चाहता था। घर की जिम्मेदारियाँ, परिवार की देखभाल – सब कुछ अमित पूरी निष्ठा से करता था।
शुरुआत में सब ठीक चला। लेकिन धीरे-धीरे रीना के भीतर बदलाव आने लगे। उसका मन पति की सच्चाई और साधारण जिंदगी से भरने लगा। वह अक्सर शिकायत करती –“अमित, तुम ज़रा भी स्टाइलिश नहीं हो। न कहीं ले जाते हो, न महंगे तोहफे देते हो। दूसरों के पति तो अपनी बीवियों पर जान छिड़कते हैं।”
धीरे-धीरे उसका ध्यान बाहर की चमक-दमक पर ज्यादा जाने लगा। जब कोई पराया पुरुष मुस्कुराकर बात करता, तो उसे अच्छा लगता। कभी मोबाइल पर लंबे चैट, कभी दोस्तों से छुपकर मुलाकातें… उसे लगता यही असली जीवन है।
गिरावट की शुरुआत
पति की सादगी और ईमानदारी अब उसे बोझ लगने लगे। वह घर में झगड़े करती, बहाने से मायके चली जाती और दोस्तों को अपनी "आज़ादी" की कहानियाँ सुनाती।
लेकिन सच यही था – उसके बर्बादी के दिन शुरू हो चुके थे।
क्योंकि जिस दिन औरत को अपना पति छोटा लगने लगे और पराए मर्द अच्छे लगने लगें, वही दिन उसकी गिरावट की पहली सीढ़ी होता है।
अंजाम
धीरे-धीरे रीना की पराई दोस्तियों की चर्चा मोहल्ले में फैल गई। जिन पुरुषों के साथ वह मुस्कुराकर बातें करती थी, वही धीरे-धीरे उसका इस्तेमाल करने लगे।
कभी किसी ने पैसे माँगे,
कभी किसी ने उसका भरोसा तोड़ा,
तो कभी किसी ने उसके नाम की बदनामी फैला दी।
घर में कलह बढ़ी, पति का विश्वास टूट गया। माता-पिता तक समाज में सिर झुकाने लगे।
अंततः एक दिन अमित ने साफ कह दिया –“रीना, मैं तुम्हें बहुत चाहता था। लेकिन अब तुम्हारे भीतर की औरत मुझे खो चुकी है। तुम्हें अपने रास्ते खुद चुनने हैं।”
रीना अकेली रह गई। जिन पराए मर्दों पर वह भरोसा कर रही थी, उनमें से कोई भी उसके साथ नहीं खड़ा हुआ। उसकी हँसी, उसकी खूबसूरती और उसका घमंड – सब बेमानी हो गया।
सीख
👉 चरित्र ही औरत का असली गहना है।👉 जिस दिन उसे पराया मर्द अपने पति से ज्यादा अच्छा लगने लगे, उस दिन से उसकी बर्बादी का सिलसिला शुरू हो जाता है।👉 रिश्ते, सम्मान और परिवार – ये सब एक ही आधार पर टिके हैं, और वह है चरित्र।
प्रेरणा
औरत चाहे कितनी भी सुंदर, पढ़ी-लिखी या आधुनिक क्यों न हो, अगर उसका चरित्र डगमगा गया तो सबकुछ बिखर जाता है।लेकिन वही औरत, अगर अपने चरित्र को मजबूत रखे, तो वह घर की लक्ष्मी और समाज की शक्ति बन जाती है।
चरित्रहीन औरत की बर्बादी के दिन की शुरुआत तब होती है जब पराये मर्द अच्छे लगने लगे ...
तो समझ जाना कि उसका अंत नजदीक है ....
