शहर के बीचोंबीच एक शानदार कॉलोनी में रिया नाम की लड़की रहती थी। खूबसूरत, आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी — लोग कहते थे कि रिया के पास सब कुछ है, पर रिया के दिल में हमेशा एक खालीपन था। उसने कई बार रिश्तों को समझने की कोशिश की, पर कहीं न कहीं हर रिश्ता दिखावे में ही सिमट जाता था।
इसी बीच उसकी मुलाकात आदित्य से हुई — एक सादा, लेकिन बेहद सच्चा इंसान। न गाड़ियों का शौक, न महंगी पार्टियों का, बस अपने काम और परिवार में खुश रहने वाला आदमी। रिया को पहले लगा कि ये उसका लेवल नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे आदित्य की सादगी और ईमानदारी ने उसे जीत लिया। दोनों ने शादी की, और ज़िंदगी को एक नई शुरुआत दी।
शादी के बाद लोगों ने कहा — “रिया! तू तो इतनी मॉडर्न थी, अब तू इतने सिंपल आदमी के साथ कैसे खुश रह सकती है?”रिया बस मुस्कुराकर कहती — “क्योंकि अब मेरी ज़िंदगी में दिखावे की नहीं, सच्चाई की जगह है।”
वक़्त बीतता गया। आदित्य का प्यार, उसका साथ, उसकी इज़्ज़त — सब कुछ रिया के जीवन की पहचान बन गया। अब रिया न किसी की रखैल थी, न किसी की खिलौना — वो एक पत्नी थी, एक जीवनसंगिनी। जब वह आदित्य के साथ सड़क पर चलती, लोग उसे देखते, तो कहते — “वाह! क्या जोड़ी है! कितनी गरिमा है इन दोनों में।”
रिया को समझ आ गया था —“असली मज़ा तो पार्टनर के साथ आन, बान और शान से जीने में है।”क्योंकि जब तुम अपने पति या पत्नी के साथ इज़्ज़त से जीते हो, दुनिया की कोई उंगली तुम्हारी ओर नहीं उठ सकती।
पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती —रिया की एक पुरानी सहेली नेहा थी, जो किसी शादीशुदा आदमी के साथ अफेयर में थी। शुरुआत में उसे लगा कि वो प्यार में है, पर धीरे-धीरे उसकी ज़िंदगी में दरारें आने लगीं। वो आदमी कभी उसे दुनिया के सामने नहीं ला पाया, हमेशा छुप-छुप कर मिलना, झूठ बोलना, और शर्म के साये में जीना — यही उसकी नियति बन गई।
एक दिन नेहा रोते हुए रिया के पास आई और बोली,“रिया, तू सही थी… जिस दिन कोई औरत किसी की रखैल बनती है, उसी दिन से उसकी बर्बादी का नया अध्याय शुरू हो जाता है।”
रिया ने उसे गले लगाकर कहा,“रिश्ते की खूबसूरती उसकी सच्चाई में है, दिखावे या छुपे हुए प्यार में नहीं। जो रिश्ता दिन के उजाले में गर्व से निभाया जाए, वही असली रिश्ता होता है।”
उस दिन से नेहा ने अपने जीवन को बदलने का फैसला किया। उसने उस गलत रिश्ते को खत्म किया और खुद के लिए एक सम्मानजनक जिंदगी चुन ली।
कहानी यही कहती है —💬 “प्यार का असली अर्थ तब पूरा होता है जब उसमें सम्मान, इज़्ज़त और सच्चाई हो।बाकी सब बस कुछ पल की मृगतृष्णा है।”
👉 कौन कौन सहमत है कि असली शान तो अपने सच्चे पार्टनर के साथ इज़्ज़त से जीने में है? ❤️
असली मजा तो पार्टनर के साथ आन
बान और शान से जीने में है, दुनिया तुम
पर उँगली नहीं उठा सकती, जब तक तुम
अपने पति या पत्नी के साथ हो, जिस दिन
तुम किसी की रखैल बन गई, समझो उस
दिन से तुम्हारी बर्बादी का नया अध्याय
शुरू हो गया, 👍
कौन कौन सहमत है
