यह बात अक्सर बहुत-सी महिलाओं से सुनने को मिलती है—
"पुरुष सिर्फ महिलाओं के शरीर को समझते हैं, मन को नहीं।"
यह सुनकर कई बार सोचता हूँ—
अगर आपका साथी आपकी मोहब्बत, देखभाल और साथ के बावजूद
अपनी शारीरिक ज़रूरतें आपसे पूरी न कर पाए,
और फिर वो किसी और की ओर देखने लगे—
तो सबसे पहले आप ही शिकायत करेंगी, है ना?
मैं पूरी तरह सहमत हूँ—
जो पुरुष सिर्फ शरीर को समझे,
मन को छूने की कोशिश भी न करे,
वो किसी के जीवनसाथी बनने के लायक नहीं।
लेकिन इसका ये मतलब तो नहीं
कि आप पुरुष की शारीरिक ज़रूरतों को ही नकार दें?
एक सच्चा पुरुष बहुत कुछ नहीं चाहता—
बस थोड़ी सी देखभाल, थोड़ी प्रेरणा,
और अपनी महिला साथी के पास मानसिक सुकून।
और यही मानसिक सुकून,
शारीरिक ज़रूरतों से भी गहराई से जुड़ा होता है।
अगर पुरुष को महिला के शरीर में आकर्षण महसूस न होता,
तो फिर वो किसी महिला के प्रेम में क्यों पड़ता?
महिला का शरीर और मन—ये दो अलग चीज़ें नहीं हैं,
एक को समझोगे, तभी दूसरे को भी महसूस कर पाओगे।
जो पुरुष अपनी साथी से सब कुछ पाकर भी
किसी और महिला को ढूंढे,
वो निःसंदेह गलत है, उसका चरित्र दोषपूर्ण है।
लेकिन जो पुरुष
अपनी हर चाहत सिर्फ अपनी साथी में ही पाना चाहता है,
और फिर भी वो चाहत अधूरी रह जाए—
तो आप उसे क्या कहेंगी?
महिलाओं का मन समझना आसान नहीं,
लेकिन अगर समझने के बाद भी
वो सिर्फ पुरुष को ही दोष देती रहें—
तो सवाल उठता है—
क्या उन्होंने कभी अपने साथी के दिल की भाषा समझने की कोशिश की?
अगर सभी पुरुष सिर्फ शरीर के भूखे होते,
तो क्या माँ-बहनें घर में सुरक्षित रह पातीं?
नहीं, बिल्कुल नहीं।
आज भी इस दुनिया में बहुत-से पुरुष हैं—
जो प्रेमी, पति, भाई या पिता बनकर
एक महिला के लिए छाया बनकर खड़े रहते हैं।
वो सिर्फ शरीर नहीं समझते,
बल्कि जिम्मेदारी भी समझते हैं,
और सच्चा प्यार भी।
हर पुरुष एक जैसा नहीं होता।
और हर महिला भी नहीं।
अगर किसी रिश्ते को निभाना है,
तो मन और शरीर—दोनों को अहमियत देनी होगी।
जब दोनों पहलुओं में समझदारी होगी,
तभी सुकून मिलेगा।
वरना, सिर्फ इल्ज़ाम चलते रहेंगे,
रिश्ते नहीं टिक पाएंगे।
