राहुल एक युवा इंजीनियर था। नौकरी अच्छी थी, परिवार स्नेही था, और ज़िंदगी बाहर से देखने पर बिल्कुल ठीक लगती थी। लेकिन भीतर ही भीतर वह टूट रहा था।
कुछ महीने पहले उसका एक बड़ा प्रोजेक्ट असफल हो गया था। उसके आत्मविश्वास पर गहरी चोट पड़ी। लोग कहने लगे—“तुमसे नहीं होगा।”“इतनी मेहनत का क्या फ़ायदा अगर नतीजा ही न निकले?”
राहुल दिन में हंसता, लोगों के सामने मुस्कुराता, लेकिन रात को अकेले होते ही बेचैन हो जाता।
करवटों भरी रात –
एक रात घड़ी की सुइयाँ जैसे थम गईं।राहुल बिस्तर पर लेटा था, पर नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।वह बार-बार करवटें बदलता रहा…मन में बस यादें थीं—
प्रोजेक्ट की असफलता की।
दोस्तों की कही कटु बातें।
अपने ही डर और असुरक्षा की।
हर करवट उसे एक नया सवाल देती—“क्या मैं सच में नाकाम हूँ?”“क्या मेरी मेहनत का कोई मतलब नहीं?”“क्या आगे कुछ अच्छा हो सकता है?”
रात लंबी थी, और सोचें और भी लंबी।
उम्मीद की किरण –
सुबह का उजाला खिड़की से झाँक रहा था। राहुल थका हुआ था, लेकिन भीतर कहीं एक हल्की-सी रोशनी जागी। उसने सोचा—“अगर पूरी रात जागने के बाद भी मैं ज़िंदा हूँ, तो शायद मुझे एक और मौका मिलना चाहिए। शायद यही सबक है—असफलता स्थायी नहीं होती।”
उसने ठान लिया कि आज से वह अपनी असफलताओं को याद करके रोएगा नहीं, बल्कि उनसे सीखकर आगे बढ़ेगा।
नया संघर्ष –
राहुल ने अपनी नींदहीन रातों को ताक़त बना लिया।
उसने फिर से मेहनत शुरू की।
नई तकनीकें सीखीं।
हर आलोचना को प्रेरणा की तरह लिया।
लोग कहते थे—“इतनी मेहनत क्यों कर रहे हो?”वह बस मुस्कुराकर कहता—“क्योंकि मेरी एक रात की करवटें मुझे बता गईं कि हार मानना सबसे बड़ी हार है।”
सफलता –
कुछ ही महीनों बाद राहुल ने एक नया प्रोजेक्ट लीड किया। यह प्रोजेक्ट न केवल सफल हुआ, बल्कि कंपनी का नाम भी ऊँचा कर गया।
आज जब राहुल अपने सफ़र को देखता है, तो उसे वे करवटों भरी रातें याद आती हैं। वे रातें जिसने उसे रुलाया भी, डराया भी, पर अंततः उसे मजबूत इंसान बना दिया।
संदेश :
कभी-कभी नींदहीन रातें हमें वही सिखा जाती हैं जो किताबें और भाषण नहीं सिखा पाते।👉 करवटों भरी रातें हमें यह याद दिलाती हैं कि अगर दर्द है तो ज़िंदगी अभी बाक़ी है।👉 और अगर हम थककर हार मान जाएँ, तो सुबह का सूरज कभी रोशनी नहीं देगा।
याद रखिए—नींद भले छिन जाए, पर उम्मीद कभी नहीं छिननी चाहिए। 🌅
करवट करवट रात कटी..
नींद ना आई आंखों में...
यादों ने उलझाए रखा...
न जाने किन-किन बातों में..
