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हम मंदिर में जाकरउन "मुर्तियों" को पूजते हैं,जो हमनें खुद बनायी होती है! घर में उन "जीवित मूर्तियों" को भी जरूर आदर दें,जिन्होंने हमें बनाया है....!!

  • Writer: ELA
    ELA
  • Apr 26
  • 1 min read

हम मंदिर में जाकरउन "मूर्तियों" को पूजते हैं,जो हमने अपने हाथों से बनायी होती हैं।

पर क्या कभी हमने सोचा है? घर में कुछ "जीवित मूर्तियाँ" भी हैं —माँ, पिता, दादा-दादी, नाना-नानी

—जिन्होंने हमें जीवन दिया, संस्कार दिए,और हर मोड़ पर सहारा बनें।

उनका भी आदर, सम्मान, और सेवा हमारा पहला धर्म होना चाहिए।

कृपया ध्यान दें —मंदिर की मूर्तियाँ श्रद्धा हैं,पर घर की मूर्तियाँ जिम्मेदारी भी हैं।

🙏 माँ-बाप का सम्मान करें, उनका साथ दें।

🙏 क्योंकि वही हमारी असली पूजा है।

#संस्कार #सम्मान #जीवनमूल्य #माँपिता #जीवित_मूर्ति #ShraddhaAurSeva






हम मंदिर में जाकर

उन "मुर्तियों" को पूजते हैं,

जो हमनें खुद बनायी होती है!

घर में उन "जीवित मूर्तियों" को भी जरूर आदर दें,

जिन्होंने हमें बनाया है....!!



We go to the temple and worship those "idols"

which we have made ourselves!

We must also respect those "living idols" at home

who have made us....!!

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