एक गॉव में माधव नाम का एक व्यापारी रहता था। उसका एक बेटा भोला था। माधव का बादाम, काजू बेचने का व्यापार था।
माधव की सेहत कुछ ठीक नहीं रहती थी। इसलिये वह अपने काजू बादाम शहर में बेचने नहीं जा पाता था।
एक दिन माधव उदास बैठा था। भोला बाहर खेल कर घर आया तो उसने अपने पिता से पूछा –
भोला: क्या बात है बापू तुम कुछ उदास बैठे हो?
माधव: क्या बताउं बेट ये बादाम और काजू लेकर शहर जाना चाहता हूं लेकिन बीमारी के कारण इतना कमजोर हो गया हूं, कि हिम्मत ही नहीं है कहीं जाने की।
भोला: तो क्या हुआ बापू मुझे बताओ मैं इन्हें शहर में बेच आता हूं।
माधव: नहीं बेटा तू अभी बहुत छोटा है और शहर में बहुत से ठग घूमते रहते हैं तेरे जैसे बच्चे को देखेंगे तो वह सारा माल और पैसा लूट लेंगे।
भोला: बापू मेरा केवल नाम भोला है। आप एक बार आजमा कर तो देखो, मैं ये सारे काजू, बदाम बेच भी दूंगा और आपसे अच्छे दामों पर बेचूंगा।
भोला की मॉं: नहीं नहीं छोटे से बच्चे को शहर नहीं भेज सकते। आप कहो मैं चली जाती हूं। लेकिन मैंने तो गॉव के बाहर का रास्ता भी नहीं देखा।
भोला: मॉं तुम्हें याद है मैं एक बार बापू के साथ शहर गया था। मुझे रास्ता अच्छे से याद है। मुझे जाने दो।
भोला बहुत देर तक जिद करता रहा। आखिर माधव उसे शहर भेजने के लिये तैयार हो गया।
माधव: बेटा शहर जा तो रहा है। लेकिन मेरी तीन बातें याद रखना। तुझे कोई लूट नहीं सकेगा।
पहली बात: अपनी मॉं से चार रोटी ले जाना जब भी भूख लगे तब तीन बार ये बात बोलना उसके बाद खाना वह बात है -‘‘एक खाउं, दो खाउं, तीन खाउं या चारों को खा जाउं।
दूसरी बात: जब तू रात को किसी धर्मशाला में विश्राम करने के लिये रुके तो जो भी कमरा ले उसकी सांकल (कुण्डी) अन्दर से लगा कर देख लेना। अगर सांकल ठीक से न लगे तो अगली धर्मशाला में चले जाना।
तीसरी बात: जब भी किसी दुकान पर काजू बदाम दिखाये और वो कीमत कम करने को बोले तो ऐसे बोलियो – ‘‘बापू से पूछ कर आता हूं’’ यह कहकर वहां से चल दियो। अगर दुकानदार रोके तो ठीक नहीं तो दूसरी दुकान पर चले जाना।
भोला ने सारी बातें ध्यान से सुनी और चार रोटी और एक प्याज लेकर एक पोटली में मेवा भर कर शहर पहुंच जाता है।
शहर पहुंचते पहुंचते उसे शाम हो जाती है।
तभी उसके पीछे चार बदमाश लग जाते हैं। भोला इस सब से बेखबर एक अंधेरी गली से जाने लगता है।
पहला बदमाश: यह मौका अच्छा है इसे इस गली में पकड़ कर लूट लेते हैं जरूर इसकी पोटली में कीमती सामान होगा।
तीनो उसकी हां में हां मिलाते हैं। वे धीरे धीरे भोला की ओर बढ़ने लगते हैं। इधर भोला को भूख लगती है वह एक जगह बैठ जाता है, और खाने की पोटली खोल लेता है – एक खाउं, दो खाउं, तीन खाउं या चारों को खाजाउं।
भोला की पीठ के पीछे कुछ दूर खड़े चारों बदमाश यह बात सुन लेते हैं।
भोला तीन बार तेज आवाज में यह बात बोलता है।
यह सुनकर चारों वहां से भाग जाते हैं। भोला बैखबर अपना खाना खा रहा था।
कुछ दूर जाकर दूसरा बदमाश बोलता है: अबे मरवा दिया था वो लड़का नहीं भूत था। हम चारों को खाने की बात कर रहा था, अच्छा हुआ भाग आये।
खाना खाकर भोला एक धर्मशाला में पहुंचता है। धर्मशाला का मालिक शातिर चोर था। वह भोला को कमरा दिखाता है। भोला देखता है कमरे में सांकल नहीं है मतलब वह अंदर से बंद नहीं होगा।
धर्मशाला का मालिक: बच्चे ये कमरा सबसे अच्छा है और इससे भी अच्छी बात है यह मुफ्त है। इसका कोई किराया नहीं है।
भोला: मुझे ऐसा कमरा चाहिये जिसमें सांकल हो।
धर्मशाला का मालिक समझ जाता है कि यह बच्चा समझ गया कि रात को सोने के बाद कोई भी इसका माल चुरा लेगा। वह कहता है
मालिक: आगे बहुत सी धर्मशाला हैं। बहुत महंगी है यहां मुफ्त में मिल रही है तो नखरे कर रहा है। चल भाग यहां से।
भोला आगे एक धर्मशाला में कमरे की सांकल बंद करके देख लेता है और कमरा लेकर चैन से सो जाता है।
अगले दिन वह अपनी पोटली लेकर एक दुकान पर जाता है।
दुकानदार: तुम्हारे काजू बदाम अच्छे नहीं हैं। जितने पैसे तुम मांग रहे हो मैं तो उसके आधे दूंगा।
भोला: रुको पिताजी से पूछ कर आता हूं। वह उठ कर चल देता है।
दुकानदार: अरे मैं तो समझ रहा था ये तो अकेला है इसके साथ इसका बाप भी है। सही दाम में दे रहा है खरीद लेता हूं। कहीं किसी और दुकानदार को माल न दे दे। सुनो लड़के सारे काजू, बादाम तौल दो और पैसे ले लो।
भोला सारा माल बेच कर पैसे लेकर अपने घर आ जाता है।
शिक्षा :--
बड़ों की सीख को बिना कारण पूछे मान लेना चाहिए।
